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मुहब्बत का अंज़ाम

 बेताबी बेचैनी को अपनाना  भीड़ में अकेला होना  अकेले में आँसू पीना  प्यार की गीतों में प्यारी नजर आना  निरुत्साह निराश में डुबे रहना  लड़कियों के प्रति नफ़रत होना  जोश मस्ती में मन नहीं लगना  आदि सभी लक्षण आ जाते हैं  अगर मुहब्बत में मन मूर्जाने तो  अतएव कम दिन के  जिंदगी को और जवानी को  प्रेम नामक अभिनय के खातिर  अपना न होने पराया के लिए  त्याग देना महान पाप है  इससे अच्छा  प्रेमनगर के द्वार को बंद करके  स्वर्गनगर के द्वार को  खोलना है उचित।।

नहीं चाहिए प्रभु हमें तुम्हारी भाषा

 नहीं चाहिए प्रभु हमें तुम्हारी भाषा

नहीं चाहिए प्रभु हमें तुम्हारी भाषा 

नहीं चाहिए

देश की एकता बढ़ाने के लिए कह कर 

कोशिश कीजिए हम सहारा देंगे माने कहकर 

हमसे नए-नए संस्थाओं को खुलवा कर 

रहे हैं आप उच्च पद पर।।

हमारे ऊपर राज़ करने …

हमें नीचे गिरा के 

हमें मानसिक रूप से हराने के लिए 

तुम्हारी भाषा को हमारे ऊपर चढ़ाकर 

उसकी भार ज्यादा हो गया तो भी 

नीचे नहीं रखना है एवं 

कुछ कमी नहीं रहना है माने 

शर्त लगाते हुए 

तुम्हारे मातृभाषा की बल से 

हमारी मातृभाषा को भुलाने में लगे हुए हैं।

मगर एक बात याद रख सबको मातृभाषा होती है

हर मातृभाषा के अपना महत्व होता है 

उसके असर हर जगह दिखाने जरुरत नहीं…

अतएव तुम्हारे मातृभाषा के महत्व अधिक दिखाने हेतु

 हमारे मातृभाषा के महत्व को कम समझना मत।। 

जैसे तुम लोगों को अंग्रेजी सिर्फ भाषा है 

तेलुगु सिर्फ भाषा है तमिल सिर्फ भाषा है 

वैसे ही हमें हिंदी भी भाषा ही है ना की ज्ञान…

भाषा को भाषा जैसा रहने दीजिए वरना 

संस्कृत जैसे अपनों के घर में ही सीमित रहकर

बाद में गायब हो जाएगी।।

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