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रुद्राक्ष धारण का फल | २४ रुद्राक्षों के विशेषताएं लाभ जाने

रुद्राक्ष

रुद्राक्ष क्या है ?

संस्कृत ग्रंथों के अनुसार रुद्राक्ष को धरती से स्वर्ग पहुंचाने वाला श्रेष्ठ  वारधि + मानते थे।

रुद्राक्ष को स्मरण, धारण करने से किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त होती है। यह बातें दक्षिण भारत के प्राचीन ग्रंथों में उपलब्द हैं।

 

रुद्राक्ष का धारण करने से रूद्रत्व प्राप्त होता है। लगभग 5000 साल से रुद्राक्ष का उपयोग हो रहा हैं।

 

advantages benifits of rudraksha types.

रुद्राक्ष का उद्भव

रूद्र देव ईस्वर के आँखों से निकले हुए आंसुओं से बने हैं। पुरानों के अनुसार सूर्य चन्द्र और अग्नि के स्वरुप ईस्वर के तीन आँखे से जुडी कहानियां आज भी दक्षिण भारत में उपलब्द हैं।

 

त्रिपुरासुर नामक राक्षस को अंत करने के बाद , ईश्वर भगवान कई वर्ष तक आँखे बंद करलेते हैं। उस समय में ईश्वर के आँखों से निकले पानी के बूंदों से रुद्राक्ष के वृक्ष बने हैं।

 

 

रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते हैं ?

साधारण रूप से रुद्राक्ष में 38 प्रकार हैं। सूर्य , चन्द्र, अग्नि के रूप में रुद्राक्ष प्राथमिक रूप से तीन प्रकार हैं। वह मृत्युंजय जप करने में इसका उपयोग होता है।

 

सूर्य नेत्र रुद्राक्ष 12 हैं। यह लाल रंग रुद्राक्ष हैं। द्वादशादित्य के प्रतीक हैं।

चन्द्र नेत्र रुद्राक्ष 16 हैं। यह सफ़ेद रंग रुद्राक्ष हैं। शोदाषाचंद्र कलाओं के प्रतीक हैं।

अग्नि नेत्र रुद्राक्ष 10 हैं। यह काले रंग रुद्राक्ष हैं। दशाग्नि होत्रों के प्रतीक हैं।

 

 

रुद्राक्ष धारण कब करें ?

सूर्य ग्रहण / चंद्र ग्रहण / अमावस्य / पूर्णिमा / मास शिवरात्रि / महा शिवरात्रि आदि।

 

 

एक मुखी रुद्राक्ष

यह मिलना बहुत मुश्किल हैं। लोग एक मुखी रुद्राक्ष को शिव भगवन के स्वरुप मानते हैं। धारण करने से मेरे व्यक्तित्व का विकास हुआ हैं।

 

 

द्विमुखी रुद्राक्ष

सोमवार के दिन द्विमुखी रुद्राक्ष धारण करने से अपने मन में हिंसात्मक स्वभाव को नियंत्रण में रखता है।

 

 

त्रिमुखी रुद्राक्ष

विद्या में विकास और रोजगार प्राप्त करने हेतु त्रिमुखी रुद्राक्ष का धारण करते हैं।

 

 

चतुर्मुखी रुद्राक्ष धारण करने से वेद शास्त्र में प्रवीण होंगे।

 

पंचमुखी रुद्राक्ष

अपने द्वारा भूल से किएगए पापों का प्रयिस्चित्त होगा। ( भूल से किए पाप को यमधर्मराज के पास माफ़ किया जाएगा ) पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से सांप नहीं काटेगा, अपने पंचेंद्रियों पर नियंत्रण पा सकते हैं।

 

शन्मुखी रुद्राक्ष

तमिलनाडु राज्य में मुरुगन भगवान ( कार्तिकेय  भगवान) का प्रतीक हैं। शन्मुखी  रुद्राक्ष धारण करने से सभा में अच्छे वक्ता बनेंगे।

 

सप्तमुखी रुद्राक्ष

अनंत का प्रतीक, महालक्ष्मी देवी का अनुग्रह होगा। स्त्री वशीकरण शक्ति इसमें हैं।

 

अष्ठमुखी रुद्राक्ष

अपने सेहत की रक्षा भगवान गणेश जी के जुड़ी कथा के अनुसार आठ लोग आठ दिशाओं से हमेशा अपनी सेहत की रक्षा करते रहेंगे।

 

नवमुखी रुद्राक्ष

मिलना इतना आसान नहीं है। नवमुखी रुद्राक्ष धारण से इच्छा शक्ति , ज्ञान शक्ति , क्रिया शक्ति , शांत शक्ती , वाम शक्ती , जेस्ठा शक्ती , रौद्र शक्ती , अम्भिखा शक्ती , पस्यंथी शक्ती  नव शक्तियों का अनुग्रह होगा।

 

दषमुखी रुद्राक्ष

साक्षात्  विष्णु भगवान का स्वरुप है। अपने इच्छाएं पूर्ण होंगे और जीवन में शांती होगी। सपने में भूत नहीं दिखेंगे।

 

 

एका दषमुखी रुद्राक्ष संपदा बडाने के लिए धारण किया जाता हैं।

द्वादशमुखी रुद्राक्ष सूर्य का प्रतीक द्वादशमुखी रुद्राक्ष को रोगनिवारिणी भी कहते हैं।

त्रयोदशमुखी रुद्राक्ष शुभ होगा। कामदेव का प्रतीक हैं।

चतुर्दशमुखी  रुद्राक्ष रूद्र नेत्र का स्वरुप है।

इसके अलावा एक और गौरीशंकर रुद्राक्ष भी हैं। पंद्रह से चौबीस मुख वाले रुद्राक्ष मिलना बहुत ही मुश्किल हैं।

 

 

रुद्राक्ष धारण के लाभ

लक्ष्मी देवी का अनुग्रह हमेशा होगा ।

रुद्राक्ष को कुण्डलिनी शक्ती को जागृत करने कि शक्ती है।

रुद्राक्ष धारण पुरुष और महिला दोनों भी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।

आज कल रुद्राक्ष को सोने के साथ जोड़कर धारण कर रहें हैं।

छोटे बच्चों को रुद्राक्ष धारण नहीं करना है , क्यों कि रुद्राक्ष का महत्त्व बच्चों को नहीं पता।

सप्त मुखी से तीस मुखी तक के रुद्रक्षाएं मिलना बहुत ही मुश्किल हैं।

गौरीशंकर रुद्राक्षों में दो रुद्राक्षों का मिलन होता हैं।

परिवार में एक दुसरे का रुद्राक्ष बदल – बदल कर धारण नहीं कर सकते। लेकिन लेकिन रुद्राक्ष को आनेवाली पीड़ी को दे सकते हैं।

रुद्राक्ष को लाल और काले धागे से जोड़कर धारण करते हैं।

रुद्राक्ष माला में २७/५४/१०८ रुद्रक्षाएं होते हैं।

बाजार में नकली रुद्रक्षाएं भी  बन रहें हैं । रुद्राक्ष को कॉपर सिक्के से प्रयोग करके असली रुद्राक्ष खरीदें।

अंग्रेज १५० वर्षों से रुद्राक्ष पर अध्ययन कर रहें हैं। Lt. Col. Kerber और John Garret.

रुद्राक्ष में पॉजिटिव पॉवर धनात्मक शक्ति हैं। कॉस्मिक पॉवर पूजा से रुद्राक्ष को प्राप्त होता है।

उर्दू और अरबिक भाषामें रुद्राक्ष को सिकिन्धार कहतें हैं।

 

---- मणिकांत 

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