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आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

मैं अँधेरे में था

 मैं अँधेरे में बैठा था



बंद आँखों से बैठा था

मैं सिर्फ सुन रहा था

वहाँ कुछ शोर सुन रहा था

वह मर्द और औरत की आवाजें थी, मैं जानता था

वह उसे हँसाना चाहता था

और वह कुछ कहा , वह हंसी

जब भी वह हंसती थी   

उसकी दाँतों की गर्म हवा   

मेरे बदन को छू रही थी

मैं सिर्फ सुन रहा था

मैं जानता था

यह कुछ और नहीं मेरी माँ थी

वह कुछ और नहीं मेरे पिता थे

उस अँधेरी जगह

वह जगह और कही नहीं मेरी माँ की कोख था

लेखक : यू श्रीनिवासुलु

अंग्रेजी से हिंदी अनुवादक “ मणिकांत बनागानापल्ली और मसिपोगु चिन्ना महादेवुडू ”

Edited by : ईरेल्ली उपेन्दर

टिप्पणियाँ

Mahaa bhoj ने कहा…
अति उत्तम है मणि भय्या, श्रीनिवासुलु & उपेंदर