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आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

Qno1 तत्सम और तद्भव शब्द

 तत्सम और तद्भव शब्द

व्याकरण (भाषा की बात ) 


1. कबीर अपने सबद के लिए प्रसिद्ध हैं। रेखांकित शब्द का तत्सम रूप विकल्पों में चुनकर लिखिए।

शपथ      शब्द       शत

जवाब) शब्द


तत्सम - तद्भव

अहंकार - आपा

वाणी - बाणी

शब्द - सबद

निद्रा - नींद

गृह घर

सर्प - साँप

अक्षर-आखर/अच् छर

माता - माँ

अष्ट आठ

कार्य - काज

श्रावण -सावन

सायम - शाम

दधि -दही

आश्रय- आसरा

त्रुट- टूट

दण्ड - डंडा

ताम्र - ताँबा

श्वास - साँस

वत्स - बच्चा

पौत्र -पोता

धैर्य - धीरज

कूप - कुआँ

घोटक - घोडा

एकत्र - इकट्टा

अंगुष्ठ - अंगू ठा

आकाश आसमान

विष - जहर

मास - माह

श्रृंगार - सिंगा र

मनुष्य - मनुज

मित्र मीत

मिश्रण - मिलन

घृत - घी

त्यागना -तजन 

आशा आस

आश्चर्य - अचरज

विवाह-ब्याह

स्मरण - स्मृति

कुमार - कुँवर

भुजंग - भुअंग

प्रस्तर- पत्थर

साक्षी -साखी

पृष्ठ -पन्ना

गायन- गीत

ग्राम -गाँव

आश्रय -आसरा


आज्ञान - अज


अंधकार -अंधेरा

हस्ती -हाथी

प्रयत्न- प्रयास

मिष्ट - मीठा

मनुष्य- मानुस

नृत्य- नाच

कोण -कोना

गौ- गाय

परमार्थ - परमारथ

कृष्ण - किसन

पिपासा- प्यासा

रात्री- रात

मयूर - मोर

स्वर्ण- सोना

पितृ-पिता

भातृ- भाई

मृत्यु - मौत

पंथ - पथ

सप्त-सात

क्षेत्र - खेत

चंद्र - चाँद

ओष्ठ - औंठ

हास्य -हँसी

पुस्तक - पोथी

कृषक - किसान

रत्न - रतन

अग्नि-  आग

पूर्व - पूरब

सन्त -सत

जिहवा- जीभ

शत- सौ

अश्रु -आँसू

राष्ट्र - राज्य

सत्य- सच

सूर्य-सूरज

मित्र - मीत

शिक्षा- सीख

कर्ण- कान

आश्चर्य- अचरज

अमूल्य-अनमोल

कर्म- काम

हस्त -हाथ

रुग्ण - रोग

शिर- सिर

पुज्ज - पूँजी

जन्म -जनम

विवाह- ब्याह

इच्छा- चाह

वन- बन

रेणु - रेनु

गृह- घर

अक्षि- आँख

कंटक - काँटा

कृपा - किरपा

मंडूक - मेंढक

नव -नया

क्षीर - खीर

वर्षा - बारिश

धरित्री-  धरती

व्यर्थ - वृथा

निर्झर - झरना

पुष्प -फूल

तैल -तेल





तत्सम शब्द की परिभाषा



तत्सम शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों, तत् + सम् से मिलकर बना है। तत् का अर्थ है - उसके, तथा सम् का अर्थ है समान। अर्थात ज्यों का त्यों। 

जिन शब्दों को संस्कृत से बिना किसी परिवर्तन के ले लिया जाता है, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। इनमें ध्वनि परिवर्तन नहीं होता है।

 हिन्दी, बांग्ला, कोंकणी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, तेलुगू, कन्नड, मलयालम, सिंहल आदि में बहुत से शब्द संस्कृत से सीधे ले लिए गये हैं, क्योंकि इनमें से कई भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं। है, क्योंकि


जैसे अग्नि, आम्र, अमूल्य, चंद्र, क्षेत्र, अज्ञान, अन्धकार आदि।




तद्भव शब्द की भाषा


तत्सम शब्दों में समय और परिस्थितियों के कारण कुछ परिवर्तन होने से जो शब्द बने हैं उन्हें तद्भव कहते हैं। 

तद्भव का शाब्दिक अर्थ है - उससे बने (तत् + भव = उससे उत्पन्न), अर्थात जो उससे (संस्कृत से) उत्पन्न हुए हैं। यहाँ पर तत् शब्द भी संस्कृत भाषा की ओर इंगित करता है। 

अर्थात जो संस्कृत से ही बने हैं। इन शब्दों की यात्रा संस्कृत से आरंभ होकर पालि, प्राकृत, अपभ्रंश भाषाओं के पड़ाव से होकर गुजरी है और आज तक चल रही है।


जैसे -


मुख से मुँह


ग्राम से गाँव


दुग्ध से दूध



अ, आ से शुरू होंने वाले तत्सम = तद्भव शब्द


1. आम्र = आम


2. आश्चर्य = अचरज


3. अक्षि = आँख


4. अमूल्य = अमोल


5. अग्नि = आग


6. अंधकार = अँधेरा


7. अगम्य = अगम


8. अकस्मात = अचानक


9. आलस्य = आलस


12. अश्रु = आँसू


13. अक्षर = अच्छर


14. अंगरखा = अंगरक्षक


15. आश्रय = आसरा


16. आशीष = असीस


17. अशीति = अस्सी


18. ओष्ठ = ओंठ


19. अमृत = अमिय


20. अंध = अँधा


sir


21. अर्द्ध = आधा


22. अन्न = अनाज


23. अक्षवाट = अखाडा


24. अंगुष्ठ = अंगूठा


25. अक्षोट = अखरोट


26. अट्टालिका = अटारी


27. अष्टादश = अठारह


28. अगणित = अनगिनत


29. अध् = आज


30. अम्लिका = इमली

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