हमारे देश में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए कई समितियों और आयोगों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। जैसे कि
राधाकृष्णन आयोग ने विश्वविद्यालयों की शिक्षा में सुधार की बात की थी, राधाकृष्णन आयोग1948, जिसे विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग भी कहा जाता है, ने उच्च शिक्षा के उद्देश्यों, ग्रामीण विश्वविद्यालय, और परीक्षा प्रणाली में सुधार जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे। इस आयोग की सिफारिशों ने भारत में उच्च शिक्षा की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुदलियार आयोग ने माध्यमिक शिक्षा में सुधार की बात की थी,मुदलियार आयोग1952-53, जिसे माध्यमिक शिक्षा आयोग भी कहा जाता है, ने माध्यमिक शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे। उन्होंने शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियों, और शिक्षकों के प्रशिक्षण जैसे विषयों पर अपनी सिफारिशें दी थीं।
कोठारी आयोग ने शिक्षा को राष्ट्रीय विकास से जोड़ने का सुझाव दिया था। कोठारी आयोग 1964-66, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा आयोग भी कहा जाता है, भारत में शिक्षा प्रणाली को बदलने के लिए बनाया गया था। इसने शिक्षा के हर स्तर पर सुधार के लिए सुझाव दिए थे, जैसे कि शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण देना और स्कूलों में विज्ञान और गणित को बढ़ावा देना।
यशपाल समिति ने बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम करने का सुझाव दिया। यशपाल समिति1992-93, जिसे ‘लर्निंग विदाउट बर्डन’ रिपोर्ट के लिए जाना जाता है, ने स्कूली बच्चों पर पढ़ाई के बोझ को कम करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे। उन्होंने रटने की बजाय समझ पर जोर दिया और शिक्षा को अधिक रोचक और व्यावहारिक बनाने की बात कही थी।
ताराचंद कमेटी, जिसे ‘द कमेटी ऑन प्रॉब्लम्स ऑफ बेसिक नेशनल एजुकेशन’ भी कहा जाता है, ने माध्यमिक शिक्षा में सुधार के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे। उन्होंने व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने और शिक्षा को जीवन से जोड़ने की बात कही थी।
जनार्दन रेड्डी समिति, जिसे 1992 में स्थापित किया गया था, ने देश में शिक्षा की स्थिति का अध्ययन किया और कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। इस समिति ने विशेष रूप से प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया।
ईश्वरभाई पटेल कमेटी 1977 में बनी थी। इस कमेटी ने बच्चों के लिए उपयोगी और रचनात्मक कामों पर ज़ोर दिया था, ताकि वे सिर्फ़ किताबी ज्ञान ही ना लें, बल्कि कुछ काम भी सीखें।
1977 में, माल्कम आदिशेषैया की अध्यक्षता में ‘वयस्क शिक्षा के लिए राष्ट्रीय समीक्षा समिति’ का गठन किया गया था। इस समिति ने वयस्कों को शिक्षित करने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे।
ब्रिटिश काल में शिक्षा पर कई समितियाँ और आयोग बने, जिन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली को काफ़ी प्रभावित किया। इनमें से कुछ मुख्य हैं:
मैकाले का विवरण पत्र (Macaulay’s Minute) 1835: इस पत्र ने भारत में अंग्रेज़ी शिक्षा की नींव रखी।
वुड्स डिस्पैच (Wood’s Dispatch) 1854: इसे भारतीय शिक्षा का मैग्ना कार्टा माना जाता है।
हंटर आयोग (Hunter Commission) 1882: इस आयोग ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया।
सार्जेंट योजना (Sargent Plan) 1944: इस योजना का उद्देश्य भारत में शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाना था।
ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड, 1987 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य प्राथमिक विद्यालयों में आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करना था। इस योजना के तहत, स्कूलों को शिक्षण सामग्री, खेल सामग्री और शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ। क्या आप इस योजना के बारे में कुछ और जानना चाहते हैं?
सर्व शिक्षा अभियान, जिसे एसएसए भी कहा जाता है, भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है। यह कार्यक्रम 2001 में शुरू किया गया था और इसने शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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