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आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

मीरा - पद सारांश

 मीरा - पद सारांश 


यह पद मीराबाई से रचित है। कवइत्री मीराबाई का जीवन काल 1503 1546 माना जाता है। इस पद में मीरा की अनन्य भक्ति का वर्णन मिलता है।


पहल पद में अपने कष्टों को दूर करने के लिए कृष्ण से प्रार्थन करती हैं -

* भगवान श्रीकृष्ण दुखियों की पीडा हरने वाले हैं.

* चीर हरण में द्रौपदि की लाज बचायी ।

* नरसिंह का रूप धारण करके भवत्त प्रहलाद को बचाया ।

* हाथी को मगर मच्छ से बचाया। गज राज को मोक्ष भी दिया ।

• वैसे ही दासी मीरा की पीडा को दूर कीजिए ।


दूसर पद में कृष्ण सौदर्य का वर्णन करती हुई उनकी दासी बनना चाहती है ।


• मीराबाई कहती है- हे कृष्ण आप मुझे दासी बनाइए ।

* तुम्हार लिए बाग बगीचा लगाऊँगी ।

• वृंदावन की गलियों में आपकी लीलाएँ गाते हुए फिरूँगी ।

* आपके मन मोहित रूप का दर्शन स्मरण और भक्ति रूपी जागिर मिल जाएँगी।

* श्री कृष्ण पर मोर मुकुट और पीले वस्त्र सुशोभित है।

* उर मे वैजयंती माला कृष्ण की सुंदरता को और बढ़ा रही है।

* मीरा कहती मैं कुसुंबी साडी पहनकर यमुना के तट पर कृष्ण से मिलना चाहती हूँ।

* मीरा के प्रभु गिरिधर नागर के दर्शन के लिए अत्यंत बेचैन है ।

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