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MahaabhojMD
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बनना चाहूंगा पागल
जवानी की छाल से हार कर
बन गया था दीवाना
इस दीवानापन मुझसे मुझे छीन कर
दिल की होश उड़ा कर
दिमाग की जोश दबाकर
जीवन में चैन आराम लूटकर
ऊपर से निंदा अनुमान करने लायक बनायी ।
प्यार, दर्द समझकर भी चुप रहा हूँ
इश्क की आग में जलकर भी जिंदा लाश बना हूँ
तब भी करता रहा ऐतबार, इंतजार
मगर मेरी मंजिल बिछाड़ कर
रास्ते खोने की मजबूर कर
मेरे मन में चाहतों की बेबसी
दूरियों के गम बचाकर
मुझसे मुझे छीन लिया
अब इन बेखुदी में कहाँ पाऊंगा चैन
अतः मैं बनना चाहुंगा पागल।।
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