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मुहब्बत का अंज़ाम

 बेताबी बेचैनी को अपनाना  भीड़ में अकेला होना  अकेले में आँसू पीना  प्यार की गीतों में प्यारी नजर आना  निरुत्साह निराश में डुबे रहना  लड़कियों के प्रति नफ़रत होना  जोश मस्ती में मन नहीं लगना  आदि सभी लक्षण आ जाते हैं  अगर मुहब्बत में मन मूर्जाने तो  अतएव कम दिन के  जिंदगी को और जवानी को  प्रेम नामक अभिनय के खातिर  अपना न होने पराया के लिए  त्याग देना महान पाप है  इससे अच्छा  प्रेमनगर के द्वार को बंद करके  स्वर्गनगर के द्वार को  खोलना है उचित।।

बनना चाहुंगा पागल

 बनना चाहूंगा पागल

 जवानी की छाल से हार कर

बन गया था दीवाना

 इस दीवानापन मुझसे मुझे छीन कर 

दिल की होश उड़ा कर 

दिमाग की जोश दबाकर 

जीवन में चैन आराम लूटकर

ऊपर से निंदा अनुमान करने लायक बनायी ।

प्यार, दर्द समझकर भी चुप रहा हूँ

 इश्क की आग में जलकर भी जिंदा लाश बना हूँ

तब भी करता रहा ऐतबार, इंतजार 

मगर मेरी मंजिल बिछाड़ कर 

रास्ते खोने की मजबूर कर 

मेरे मन में चाहतों की बेबसी

 दूरियों के गम बचाकर

 मुझसे मुझे छीन लिया 

अब इन बेखुदी में कहाँ पाऊंगा चैन  

 अतः मैं बनना चाहुंगा पागल।।


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