विशेष रुप से प्रदर्शित पोस्ट

आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

बनना चाहुंगा पागल

 बनना चाहूंगा पागल

 जवानी की छाल से हार कर

बन गया था दीवाना

 इस दीवानापन मुझसे मुझे छीन कर 

दिल की होश उड़ा कर 

दिमाग की जोश दबाकर 

जीवन में चैन आराम लूटकर

ऊपर से निंदा अनुमान करने लायक बनायी ।

प्यार, दर्द समझकर भी चुप रहा हूँ

 इश्क की आग में जलकर भी जिंदा लाश बना हूँ

तब भी करता रहा ऐतबार, इंतजार 

मगर मेरी मंजिल बिछाड़ कर 

रास्ते खोने की मजबूर कर 

मेरे मन में चाहतों की बेबसी

 दूरियों के गम बचाकर

 मुझसे मुझे छीन लिया 

अब इन बेखुदी में कहाँ पाऊंगा चैन  

 अतः मैं बनना चाहुंगा पागल।।


टिप्पणियाँ