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मुहब्बत का अंज़ाम

 बेताबी बेचैनी को अपनाना  भीड़ में अकेला होना  अकेले में आँसू पीना  प्यार की गीतों में प्यारी नजर आना  निरुत्साह निराश में डुबे रहना  लड़कियों के प्रति नफ़रत होना  जोश मस्ती में मन नहीं लगना  आदि सभी लक्षण आ जाते हैं  अगर मुहब्बत में मन मूर्जाने तो  अतएव कम दिन के  जिंदगी को और जवानी को  प्रेम नामक अभिनय के खातिर  अपना न होने पराया के लिए  त्याग देना महान पाप है  इससे अच्छा  प्रेमनगर के द्वार को बंद करके  स्वर्गनगर के द्वार को  खोलना है उचित।।

जवानी में जीवन सदा रहना है तो

 जवानी में जीवन सदा रहना है तो

जवान में जीवन सदा रहना है तो 

अवश्य होना है प्रेम तथा प्रेमिका 

प्रेम के बिना जीवन किसी अंधेरी गुफा में 

चलते रहने के समान है । 

वैसे प्रेमिका के बिना भी जीवन 

तन्हाई के आलम में जीने के समान है 

निराश की नीड़ में रहने की समान है

प्रेमिका से ही बहुत खुशी पा सकते हैं 

जो शारीरिक मानसिक सामाजिक 

क्रियाकलापों से संबंधित है

मन में बहुत आशाएँ जगा सकते हैं 

जीवन की समस्याओं को अधिक समय भूल सकते हैं

तन मन धन परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं 

एवं ध्यान दे सकते हैं 

यह बात सही है कि 

जीवन की कुछ स्थितियाँ 

तरह-तरह मुकाम पर धकेल देती है 

अलग बनने की विवश कर देती है

रोशनी की जगह अंधकार बिठा देती है

प्रेम विचार के रूप में प्रेम बहुत पवित्र है 

शारीरिक संबंधों से दूषित हो सकता है।।

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