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मुहब्बत का अंज़ाम

 बेताबी बेचैनी को अपनाना  भीड़ में अकेला होना  अकेले में आँसू पीना  प्यार की गीतों में प्यारी नजर आना  निरुत्साह निराश में डुबे रहना  लड़कियों के प्रति नफ़रत होना  जोश मस्ती में मन नहीं लगना  आदि सभी लक्षण आ जाते हैं  अगर मुहब्बत में मन मूर्जाने तो  अतएव कम दिन के  जिंदगी को और जवानी को  प्रेम नामक अभिनय के खातिर  अपना न होने पराया के लिए  त्याग देना महान पाप है  इससे अच्छा  प्रेमनगर के द्वार को बंद करके  स्वर्गनगर के द्वार को  खोलना है उचित।।

बढ़ती जनसंख्या से समाज की समस्याओं में वृद्धि हो रही है- Mahadev.MCH

बढ़ती जनसंख्या से समाज की समस्याओं में वृद्धि हो रही है
- Mahadev.MCH
  
        
             बढ़ती जनसंख्या से समाज की समस्याओं में वृद्धि नहीं हो रही है। अगर होने तो सिर्फ निराश जनता, आलसी युवा , गैर जिम्मेदारी लोग और मूर्ख प्रजा से है । 
               किसी भी देश में युवा,काम करने योग्य लोग तथा कार्यशील जनसंख्या की अधिकता तथा उससे होने वाले आर्थिक लाभ को जनसंख्यािकीय लाभांश के रूप में देखा जाता है। भारत में मौजूदा समय में विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या युवाओं की है। यदि इस आबादी के उपयोग भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने में किया जाए तो यह भारत को जनसंख्यािकीय लाभांश प्रदान करेगा। किंतु यदि शिक्षा गुणवत्ता परक ना हो, रोजगार के अवसर सीमित हो ,सरकारी रोजगार के ऊपर मोह न हो, स्वास्थ्य एवं आर्थिक सुरक्षा के साधन उपलब्ध ना हो तो बड़ी कार्यशील आबादी एक अभिशाप का रूप धारण कर सकती है । वैसे आजकल युवाओं में काम करना छोड़ कर आसान तरीका में या किसी तरह मुफ्त में दिन गुजारने के लिए कोशिश करते रहते हैं । इसलिए राजनीति नेता के पास कई लोग बिना काम के रहते हैं। वे लोग सिर्फ दिन गुजारने के लिए सोचते रहते हैं। इसी तरह युवता जनसंख्या एक अभिशाप है। वैसे गरीबी तथा अनपढ़ जनसंख्या को भी वृद्धि में महत्वपूर्ण संबंध है। परिवार का स्वास्थ्य , बाल उत्तरजीविता और बच्चों की संख्या आदि माता-पिता के स्वास्थ्य और शिक्षा के स्तर से गहराई से संबंध है । इसलिए स्वास्थ्य के ऊपर, आर्थिक स्थिति में सुधार के ऊपर ,विवाह के अंधविश्वासों को मिटाने के ऊपर और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आदि के ऊपर सरकार और जनता अधिक जोर देना चाहिए। उन सभी में गुणवत्ता बढ़ाकर ,जनता को प्रेरित करके ,उनको प्रोत्साहन करने तो बढ़ती जनसंख्या से समस्याएं उत्पन्न नहीं होगी। तब ही बढ़ती जनसंख्या अभिशाप नहीं वरदान लगेगी।



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