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आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

अपनी पहचान ग़ायब

                         अपनी पहचान ग़ायब 


आते - जाते,  

                    चलते - फिरते, 

काल गमन में, 

                अपनी पहचान ग़ायब! 

कौन है तू ? 

             क्या नाम है तेरा ? 

करते क्या हो ? 

                ये सब भूल जाएंगे, 

एक दिन कुएं में कूद जाएंगे !! 

        यहाँ किसकी कोई परवाह नहीं, 

ख़ुद पे भरोसा नहीं! 

                    रस्ता भटकते रहो,  

काँटे को निकालते जाओ! 

                        कठिन समय है, 

तो धीरज बना के रखो! 

                           अगर जीना चाहते हैं , 

तो आगे बढ़ो ! 

                   और अंत में ये सिद्ध करो, 

कोई जन्म से महान नहीं, 

                                बल्कि कर्म से होता है!  

 बल्कि कर्म से होता है!! 

                   

                         


                                          ......... साहसी 


टिप्पणियाँ

Mahaa bhoj ने कहा…
सही बात है