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Dayyala obulesu
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अपनी पहचान ग़ायब
आते - जाते,
चलते - फिरते,
काल गमन में,
अपनी पहचान ग़ायब!
कौन है तू ?
क्या नाम है तेरा ?
करते क्या हो ?
ये सब भूल जाएंगे,
एक दिन कुएं में कूद जाएंगे !!
यहाँ किसकी कोई परवाह नहीं,
ख़ुद पे भरोसा नहीं!
रस्ता भटकते रहो,
काँटे को निकालते जाओ!
कठिन समय है,
तो धीरज बना के रखो!
अगर जीना चाहते हैं ,
तो आगे बढ़ो !
और अंत में ये सिद्ध करो,
कोई जन्म से महान नहीं,
बल्कि कर्म से होता है!
बल्कि कर्म से होता है!!
......... साहसी
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