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MahaabhojMD
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तुम मुझे कौन हो ।
तुम मुझे कौन हो
अभी तक समझ में नहीं आ रही हो ।
खड़े चमक रूप से ,
मेरी नजर को चुराई हो।
आदर्श भावनाओं का जाल से,
मेरे मन को जीती हो ।
होंठों पर सच्चाई ,
दिल में सफाई ,
व्यवहार में चमत्कार
व्यक्तित्व में स्थिर ,
सबके साथ स्नेहशील ,
अच्छाई में ममता ,
आवेश में गुस्सा ,
मूर्खता से दूर ,
यथार्थता का के पास ,
दूसरों का सिर्फ भलाई ...
मुझे अपना बना कर
नस-नस में समाई है ।
किंतु तेरी हरकतों से
कभी-कभी लगता है मुझे,
तुम मुझे कौन हो ।।
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