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तुम मुझे कौन हो? - रावण.MD

 तुम मुझे कौन हो ।

तुम मुझे कौन हो

अभी तक समझ में नहीं आ रही हो ।

खड़े चमक रूप से ,

मेरी नजर को चुराई हो।

आदर्श भावनाओं का जाल से,

मेरे मन को जीती हो ।

होंठों पर सच्चाई ,

दिल में सफाई ,

व्यवहार में चमत्कार

व्यक्तित्व में स्थिर ,

सबके साथ स्नेहशील ,

अच्छाई में ममता ,

आवेश में गुस्सा ,

मूर्खता से दूर ,

यथार्थता का के पास ,

दूसरों का सिर्फ भलाई ...

मुझे अपना बना कर

नस-नस में समाई है ।

किंतु तेरी हरकतों से

कभी-कभी लगता है मुझे,

तुम मुझे कौन हो ।।

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
आदर्श भावनाओं के जाल से ।मेरी नजर चुराई हो
Mahaa bhoj ने कहा…
Your good name please
mani ने कहा…
Name : Unknown User