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आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

अब भी तेरा ही इंतजार !! -Raavan Paul Khan.MD

 

गरजे मेघ, बहे ठंडी हवा,

चमके बिजली, झरती धाराएँ 

झूलता मन में जगाए कई स्मृतियाँ  

गरम कर दी ठंड में भी।। 

उबले जवानी, पागल सी मन 

तरसे आँखें , उमड़े विरह 

तेरे संग की चाह,

दौड़ाएँ कल्पनाएँ,

उबरे आशाएँ

गिरकर बूंद-बूंद के रूप में 

बरसे बारिश मेरे मन में 

सावन लाए हैं मेरे मन में

तेरी यादों के रूप में ।।

मेरे खुशी तेरे आंगन 

मेरे आनंद तेरी संग

तेरी बात मेरी उमंग 

आशा है हमारे मिलन

अतः आ जाओ सनम 

अभी भी तेरा ही इंतजार है ।।

                       - रावण.MD


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