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आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

क्या हम जो चाहते हैं वही सपने आते हैं ?

 

क्या हम जो चाहते हैं वही सपने आते हैं ?

“मुझे हर दिन कुछ न कुछ सपने आते ही रहते हैं| आप को सरल हिन्दी भाषा में बताने कि कोशिश करूंगी” – लेखिका 

 

आज का @ अधूरा सपना

 

क्या बताऊँ तुम्हें! क्यूँ कि मुझे एक ही घटना याद है|

किसी की शादी हो चुकी हैं| लेकिन दूल्हे के शरीर में एक आत्मा घुसी है!

 

सब को पता चला हैं कि उस दूल्हे के शरीर में आत्मा पहुँच चुकी हैं -

वह दूल्हा बेहोश हो चुका है, उस शरीर से आत्मा को बहार निकालने के लिए हमारे खेत के पास कुमकुम और हल्दी से कुछ यज्ञ / पूजा शुरू किए हैं|

 

बस, इतना ही मैं नींद से बाहर आई, इस तरह शैतान / आत्मा के सपने और कितने दिन परेशान करेंगे मुझे ? जो भी होगा देखा जाएगा ;

 

पात्र : गीता
टंकण कार्य : मणि

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