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साहसी

 मैं गाँव में रहता हूँ 


मैं गाँव में रहता हूँ,

गाँव के मोहल्ले को बताने आया हूँ,

जिस देश का विकास ग्रामीण क्षेत्रों में से ही होता है, उस गाँव की गलियों के गाने सुनने आया हूँ,


गाँव की गलियों में खोया हुआ बचपन के क्रीड़ा अभाव को गिल्लीदंडा के रूप में जिवित करने आया हूँ,

किसी से दुश्मनी नहीं, फ़िर भी लड़ते रहे, कहीं चोट लगी और बहते हुए खून को रोकने के लिए उस पे मिट्टी डाले,

खेत से आये  हुए माँ-बाप से गाली खाने से छुटकारे मिले, फिर आपस में दोस्तों के बीच हमदर्दी और आंसुओं की नमकीन, मित्रता के मिठास कुछ पल में मिट जाए, हाथों में हाथ डाल कर खेलने के मैदान की ओर निकल पड़े।


स्कूल की छुट्टियों में तलाब की तलाश में नहाने के लिए निकल पड़े यारों के साथ, तालाब में भी खेले गए चोरी छुप के और घर लौटे शाम को हुई सर्दी जुकाम, फिर खूब  डांटे उनके माँ - बाप और उन्हें ले गए डॉक्टर के पास दिखने, इंजेक्शन से डरके ली है दवाई।


अगर गाँव में किसी की शादी हो, जो इंसान तो काला भी हो सफ़ेद रंग का कमीज- धोती, औरतों रंग-विरांग साड़ी पहन कर दिखलाये अपने संप्रदाय - संस्कृति और खाद्य पदार्थों की कोई कमी नहीं लड्डू, मैसूरपाक, बादूशा, बर्फी, बेंगन की सब्जी , चावल, दाल, सांबार  साथ में केले, ये सब देख कर और खा कर जो शादी में आए हुए लोग बोले वाह! क्या संप्रदाय है, क्या भोजन है।


जिस स्थान पर  हर कुएँ, पेड़, पत्थरों को पूजा की जाती है वो गाँव ही तो होता है, ग्रामीण क्षेत्रों में गाँव के देवी देवताओं  के रूप में पेड़ों को और पत्थरों को पूजा की जाती है, यहाँ शत कोटि देवी - देवताओं को आराधना किए जाते हैं , यहाँ मुख्य रूप से अधिक लोग खेती - बाड़ी करते हैं।


                                   _______साहसी(by Obulesh)


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