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आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

ईदगाह पाठ का सारांश

 ईदगाह पाठ का सारांश 

 * पात्र: 

कहानी के मुख्य पात्र हामिद , उसकी बूढ़ी दादी अमीना और उसके दोस्त महमूद, मोहसिन, नूरे और शम्मी हैं।

 * त्यौहार का माहौल: 

कहानी ईद के त्यौहार से शुरू होती है। गाँव में खुशी का माहौल है और सभी लोग ईदगाह जाने की तैयारी कर रहे हैं। 

 * हामिद की गरीबी: 

हामिद के पास सिर्फ तीन पैसे हैं, जबकि उसके दोस्तों के पास ज़्यादा पैसे और खिलौने हैं।

 * मेले में हामिद का त्याग: 

हामिद के दोस्त झूले झूलते हैं, मिठाइयाँ खाते हैं और खिलौने खरीदते हैं, लेकिन हामिद अपने तीन पैसे बचाकर रखता है। वह सोचता है कि ये पैसे उसकी दादी के काम आ सकते हैं।

 * दुकान पर हामिद का फैसला: 

मेले में हामिद देखता है कि उसकी दादी के पास खाना बनाने के लिए चिंता (तवा) नहीं है। वह अपने पैसों से अपनी दादी के लिए एक चिमटा खरीदता है।

 * दादी की खुशी: 

हामिद जब घर लौटता है और चिमटा अपनी दादी को देता है, तो वह बहुत खुश होती है। वह हामिद को गले लगा लेती है और उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं।

 * प्रेम और त्याग का संदेश:

 यह कहानी हमें बताती है कि सच्चा प्यार और त्याग कितना महत्वपूर्ण है। हामिद ने अपने बचपन की इच्छाओं को त्यागकर अपनी दादी के लिए एक चिमटा खरीदा।


 * निष्कर्ष: 


यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं से बढ़कर, रिश्तों और भावनाओं का महत्व 

होता है।

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