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आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

छंद (for slow learners)

 छंद (यमाताराजभानस लग)

कविता में प्रयुक्त होने वाले वर्ण, मात्रा, यति आदि के संगठन को छंद कहते हैं।


चौपाई छंद यह एक सम मात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में सोलह मात्राएँ होती हैं।

उदाहरण :

प्रभुजी, तुम चंदन हम पानी।

 जाकी अँग-अँग बा बास समानी।।

प्रभुजी, तुम घन-बन हम मोरा।

जैसे चितवहि चंद्र चकोरा ।।


दोहा छंद

दोहा मात्रिक छंद है। इसके पहले चरण में तेरह मात्राएँ, दूसरे चरण में ग्यारह मात्राएँ (13-11) होती हैं। तीसरे चरण में तेरह मात्राएँ और चौथे चरण में ग्यारह मात्राएँ होती हैं।

उदाहरण:

।।।। SS SIS II SS II SI

रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।

पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून ।।


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