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आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

पाठ योजना - पत्र लेखन

 

पाठ योजना (Lesson Plan )

विषय: हिंदी

कक्षा: 10वीं

पाठ: पत्र लेखन (व्याकरण/रचनात्मक लेखन)

पुस्तक: सुगंध-2 (व्याकरण खंड)

बोर्ड: Board of Secondary Education, Andhra Pradesh

आवश्यक पीरियड की संख्या (धीमे सीखने वालों के लिए): 5-6 पीरियड्स

शिक्षक का नाम: [ मासिपोगु चिन्ना महा देवुडु]

अधिगम उद्देश्य (Learning Objectives):

 * छात्र पत्र लेखन के महत्व और उपयोगिता को समझ पाएंगे।

 * छात्र पत्र के विभिन्न प्रकारों (औपचारिक और अनौपचारिक) को पहचान पाएंगे।

 * छात्र औपचारिक और अनौपचारिक पत्रों के प्रारूप (format) को समझ पाएंगे और उनका सही उपयोग कर पाएंगे।

 * छात्र पत्रों में उचित भाषा-शैली, संबोधन, अभिवादन और समापन का प्रयोग कर पाएंगे।

 * छात्र दिए गए विषय पर स्पष्ट, संक्षिप्त और प्रभावी पत्र लिख पाएंगे।

 * छात्र अपनी लेखन क्षमता और रचनात्मकता का विकास कर पाएंगे।

मुख्य क्षमताएँ (Key Competencies):

 * लेखन कौशल (Writing Skills): स्पष्ट, संगठित और व्याकरणिक रूप से सही पत्र लिखना।

 * भाषा ज्ञान (Language Proficiency): उचित शब्दावली, वाक्य संरचना और औपचारिक/अनौपचारिक भाषा का प्रयोग।

 * संवाद कौशल (Communication Skills): लिखित रूप में अपने विचारों और भावनाओं को प्रभावी ढंग से व्यक्त करना।

 * प्रारूप ज्ञान (Format Knowledge): विभिन्न प्रकार के पत्रों के सही प्रारूप को समझना और लागू करना।

 * व्याकरण और वर्तनी (Grammar and Spelling): व्याकरणिक शुद्धता और सही वर्तनी का ध्यान रखना।

 * आलोचनात्मक चिंतन (Critical Thinking): विषय की आवश्यकतानुसार पत्र का उद्देश्य और सामग्री तय करना।

 * रचनात्मकता (Creativity): विचारों को मौलिकता से प्रस्तुत करना (विशेषकर अनौपचारिक पत्रों में)।

सेट इंडक्शन (Set Induction):

 * संचार के साधन: शिक्षक छात्रों से पूछेंगे कि वे एक-दूसरे से या दूसरों तक अपनी बात कैसे पहुँचाते हैं।

   * आप अपने दोस्त से बात करने के लिए किसका इस्तेमाल करते हैं (फ़ोन, मैसेज)?

   * अगर आपको किसी सरकारी अधिकारी से कोई शिकायत करनी हो तो आप क्या करेंगे?

   * क्या हमने कभी किसी को जन्मदिन पर कार्ड या कोई पत्र लिखा है?

 * पत्र का महत्व: अतीत में (मोबाइल और इंटरनेट से पहले) लोग कैसे संवाद करते थे, इस पर संक्षेप में चर्चा करें। पत्र के महत्व पर प्रकाश डालें।

 * शीर्षक का परिचय: 'पत्र लेखन' का अर्थ समझाएं – अपनी बात को लिखकर दूसरों तक पहुँचाना। बताएं कि आज भी पत्रों का बहुत महत्व है।

 * पत्र का उदाहरण: एक बहुत ही छोटा और सरल (अनौपचारिक) पत्र का उदाहरण मौखिक रूप से सुनाएं या श्यामपट्ट पर लिखें।

अधिगम गतिविधियाँ (Lesson Activities):

PERIOD 1: पत्र लेखन का परिचय और महत्व

 * पत्र लेखन क्या है? पत्र लेखन की परिभाषा और आवश्यकता पर चर्चा।

 * पत्रों के प्रकार: औपचारिक (Formal) और अनौपचारिक (Informal) पत्रों का परिचय।

   * औपचारिक: प्रधानाचार्य, सरकारी अधिकारी, संपादक, व्यवसायी (नियमों का पालन, उद्देश्यपूर्ण)।

   * अनौपचारिक: मित्र, परिवार के सदस्य, रिश्तेदार (व्यक्तिगत, भावनाओं को व्यक्त करने वाला)।

   * उदाहरण देकर समझाएं कि कौन सा पत्र कब लिखा जाता है। (धीमे सीखने वालों के लिए, प्रत्येक प्रकार के 2-3 स्पष्ट उदाहरण दें)।

 * महत्व: पत्र क्यों महत्वपूर्ण हैं (रिकॉर्ड, औपचारिक संचार, भावनाओं की अभिव्यक्ति)।

 * कठिन शब्दार्थ: 'औपचारिक', 'अनौपचारिक', 'संबोधन', 'अभिवादन', 'विषय', 'प्रेषक', 'प्रेषिति' जैसे शब्दों के अर्थ श्यामपट्ट पर लिखें। छात्रों को दोहराने और लिखने को कहें।

PERIOD 2: अनौपचारिक पत्र का प्रारूप (Format)

 * पुनरावृत्ति: पत्र के प्रकारों की संक्षिप्त पुनरावृत्ति।

 * अनौपचारिक पत्र का प्रारूप: श्यामपट्ट पर अनौपचारिक पत्र का एक मानक प्रारूप चरण-दर-चरण लिखें और समझाएं।

   * पता (भेजने वाले का): कहाँ लिखा जाता है।

   * दिनांक: कहाँ लिखा जाता है।

   * संबोधन: प्रिय मित्र/प्रिय पिताजी/पूजनीय माताजी (संबंध के अनुसार)।

   * अभिवादन: नमस्ते/प्रणाम/सस्नेह (संबंध के अनुसार)।

   * मुख्य भाग: किस तरह से अपनी बात लिखी जाती है (हालचाल, उद्देश्य, समाप्ति)।

   * समापन: तुम्हारा मित्र/तुम्हारा प्यारा पुत्र/पुत्री (संबंध के अनुसार)।

   * नाम: अपना नाम।

 * उदाहरण: एक सरल अनौपचारिक पत्र का उदाहरण (जैसे मित्र को जन्मदिन की बधाई) श्यामपट्ट पर लिखें और प्रारूप के साथ मिलान करवाएं।

 * अभ्यास: छात्रों को एक सरल विषय पर अनौपचारिक पत्र का प्रारूप अपनी कॉपी में लिखने को कहें।

PERIOD 3: औपचारिक पत्र का प्रारूप (Format)

 * पुनरावृत्ति: अनौपचारिक पत्र के प्रारूप की संक्षिप्त पुनरावृत्ति।

 * औपचारिक पत्र का प्रारूप: श्यामपट्ट पर औपचारिक पत्र का एक मानक प्रारूप चरण-दर-चरण लिखें और समझाएं।

   * प्रेषक का पता और दिनांक: कहाँ लिखा जाता है।

   * प्रेषिति का पद और पता: किसको लिखा जा रहा है (श्रीमान प्रधानाचार्य जी, स्कूल का नाम, पता)।

   * विषय: पत्र का मुख्य उद्देश्य (संक्षिप्त और स्पष्ट)।

   * संबोधन: महोदय/महोदया।

   * मुख्य भाग: विनम्र और स्पष्ट भाषा में बात (समस्या/अनुरोध)।

   * समापन: धन्यवाद सहित/भवदीय/प्रार्थी।

   * नाम और पता: भेजने वाले का नाम, कक्षा, पता।

 * उदाहरण: एक सरल औपचारिक पत्र का उदाहरण (जैसे प्रधानाचार्य को अवकाश के लिए आवेदन) श्यामपट्ट पर लिखें और प्रारूप के साथ मिलान करवाएं।

 * अभ्यास: छात्रों को एक सरल विषय पर औपचारिक पत्र का प्रारूप अपनी कॉपी में लिखने को कहें।

PERIOD 4: भाषा-शैली और पत्र लेखन का अभ्यास

 * पुनरावृत्ति: दोनों प्रकार के पत्रों के प्रारूपों की संक्षिप्त पुनरावृत्ति।

 * भाषा-शैली पर चर्चा:

   * अनौपचारिक: व्यक्तिगत, सरल, भावनात्मक, बोलचाल के करीब।

   * औपचारिक: विनम्र, स्पष्ट, संक्षिप्त, उद्देश्यपूर्ण, सम्मानजनक।

   * गलतियों से बचना (वर्तनी, व्याकरण)।

 * पत्र लेखन का अभ्यास (कक्षा कार्य): छात्रों को एक विषय दें और उन्हें पत्र लिखने को कहें।

   * विषय (अनौपचारिक): अपने छोटे भाई/बहन को परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए बधाई पत्र।

   * विषय (औपचारिक): अपने प्रधानाचार्य को खेल के मैदान की सफाई के लिए अनुरोध पत्र।

   * छात्रों को प्रारूप का उपयोग करने के लिए प्रेरित करें। धीमे सीखने वालों की व्यक्तिगत रूप से मदद करें।

PERIOD 5: समीक्षा, सुधार और अतिरिक्त अभ्यास

 * पुनरावृत्ति: पत्र लेखन के सभी मुख्य बिंदुओं की पुनरावृत्ति।

 * पत्रों की समीक्षा: कुछ छात्रों के पत्रों को श्यामपट्ट पर लिखें (उनकी अनुमति से) या पढ़कर उनकी समीक्षा करें।

   * सकारात्मक पहलू बताएं और सुधार के लिए सुझाव दें (प्रारूप, भाषा, वर्तनी)।

 * सामान्य त्रुटियाँ: पत्र लेखन में छात्रों द्वारा की जाने वाली सामान्य त्रुटियों पर चर्चा करें और उन्हें सुधारने के तरीके बताएं।

 * अतिरिक्त अभ्यास/क्विज़:

   * 'सही संबोधन चुनिए' या 'यह किस प्रकार का पत्र है?' जैसे छोटे क्विज़ करवाएं।

   * उन्हें एक और विषय पर पत्र लिखने का अभ्यास कराएं।

पडागॉजी दृष्टिकोण (Pedagogical Approaches):

 * प्रत्यक्ष शिक्षण (Direct Instruction): नियमों और प्रारूपों को स्पष्ट रूप से समझाना।

 * प्रदर्शन विधि (Demonstration Method): श्यामपट्ट पर प्रारूप और उदाहरण लिखकर दिखाना।

 * पुनरावृत्ति और अभ्यास (Repetition and Practice): प्रारूपों और नियमों का बार-बार दोहराव, और पर्याप्त अभ्यास के अवसर, विशेषकर धीमे सीखने वालों के लिए।

 * चरण-दर-चरण शिक्षण (Step-by-Step Instruction): जटिल प्रक्रिया को छोटे, प्रबंधनीय चरणों में तोड़ना।

 * प्रतिक्रिया विधि (Feedback Method): छात्रों के लिखे पत्रों पर रचनात्मक प्रतिक्रिया देना।

 * सहयोगात्मक अधिगम (Collaborative Learning): छात्रों को जोड़ियों में एक-दूसरे के पत्रों की समीक्षा करने के लिए प्रोत्साहित करना।

 * बाल-केंद्रित दृष्टिकोण (Child-Centered Approach): छात्रों की कठिनाइयों को पहचानना और व्यक्तिगत सहायता प्रदान करना।

अधिगम उपकरण प्रयुक्त (Learning Tools Used):

 * श्यामपट्ट (Blackboard) और चाक/मार्कर

 * पाठ्यपुस्तक (Textbook) - सुगंध-2 (व्याकरण खंड)

 * औपचारिक और अनौपचारिक पत्रों के तैयार प्रारूप चार्ट/पोस्टर

 * विभिन्न प्रकार के पत्रों के उदाहरण (प्रिंटेड या डिजिटल)

 * फ्लैशकार्ड्स (संबोधन, अभिवादन, समापन वाक्यांशों के लिए)

 * सही और गलत प्रारूप वाले पत्र के उदाहरण (तुलना के लिए)

अधिगम परिणाम रणनीतियाँ (Learning Outcomes Strategies):

 * प्रत्येक प्रकार के पत्र के प्रारूप को पहचानना और बताना।

 * दिए गए विषय पर एक सरल अनौपचारिक पत्र लिखना।

 * दिए गए विषय पर एक सरल औपचारिक पत्र लिखना।

 * पत्रों में सही संबोधन और समापन का प्रयोग करना।

 * पत्रों में भाषा की शुद्धता और स्पष्टता बनाए रखना।

कक्षा कार्य असाइनमेंट (CW Assigned):

 * अपने छोटे भाई को समय पर गृह कार्य करने की सलाह देते हुए एक अनौपचारिक पत्र का प्रारूप लिखिए।

 * प्रधानाचार्य को पुस्तकालय में नई हिंदी की पुस्तकें मंगवाने के लिए एक औपचारिक पत्र का प्रारूप लिखिए।

 * पत्र के दो मुख्य प्रकारों के नाम लिखिए।

गृह कार्य असाइनमेंट (HW Assigned):

 * अपनी सहेली/मित्र को गर्मियों की छुट्टियों में अपने घर आमंत्रित करते हुए एक अनौपचारिक पत्र लिखिए।

 * अपने क्षेत्र के नगर निगम अधिकारी को सड़क पर कूड़ा फेंकने की समस्या के संबंध में शिकायत करते हुए एक औपचारिक पत्र लिखिए।

 * पत्र लेखन के किन्हीं पांच महत्वपूर्ण बिंदुओं को याद करके लिखिए।

मूल्यांकन (Assessment):

 * औपचारिक मूल्यांकन:

   * लिखित परीक्षा: दिए गए विषयों पर औपचारिक और अनौपचारिक पत्र लिखने को कहना (प्रारूप, विषयवस्तु, भाषा की शुद्धता और वर्तनी के आधार पर मूल्यांकन)।

   * प्रारूप की पहचान: छात्रों को विभिन्न पत्रों के प्रारूप पहचानने को कहना।

 * अनौपचारिक मूल्यांकन:

   * कक्षा में पत्र लेखन के अभ्यास में भागीदारी।

   * प्रारूप को समझने में प्रगति।

   * कठिन शब्दों और वाक्यांशों का प्रयोग।

   * धीमे सीखने वालों की लेखन क्षमता और आत्मविश्वास में वृद्धि।

   * मौखिक प्रश्नोत्तरों में भागीदारी।

पुस्तक संदर्भ (Book Reference):

 * कक्षा 10वीं की हिंदी पाठ्यपुस्तक 'सुगंध-2' (व्याकरण खंड: पत्र लेखन)।

 * बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन, आंध्र प्रदेश द्वारा निर्धारित व्याकरण पुस्तकें।

 * अन्य हिंदी व्याकरण और रचनात्मक लेखन की सहायक पुस्तकें।

छात्र अवलोकन (Student Observation):

 * किन छात्रों को औपचारिक और अनौपचारिक पत्रों के बीच अंतर करने में कठिनाई हो रही है?

 * किस छात्र को विशेष रूप से प्रारूप (पता, दिनांक, संबोधन) को याद रखने में मदद की आवश्यकता है?

 * क्या छात्र दिए गए विषय के अनुसार उचित भाषा-शैली का चयन कर पा रहे हैं?

 * कौन से छात्र रचनात्मक रूप से अपने विचारों को व्यक्त कर पा रहे हैं (अनौपचारिक पत्रों में)?

 * धीमे सीखने वालों को किन क्षेत्रों (जैसे वर्तनी, वाक्य संरचना, प्रारूप) में अधिक अभ्यास की आवश्यकता है?

स्वयं का शिक्षण अवलोकन (Own Teaching Observation):

 * क्या मैंने दोनों प्रकार के पत्रों के प्रारूपों को पर्याप्त स्पष्टता और उदाहरणों के साथ समझाया?

 * क्या मैंने छात्रों को पर्याप्त अभ्यास के अवसर प्रदान किए?

 * क्या मेरी शिक्षण विधियाँ धीमे सीखने वालों की आवश्यकताओं को पूरा कर रही थीं और उन्हें विषय को समझने में मदद मिली?

 * क्या मैं छात्रों में पत्र लेखन के प्रति रुचि और आत्मविश्वास जगाने में सफल रहा/रही?

 * अगली बार इस पाठ को पढ़ाते समय मैं अपनी शिक्षण रणनीति में क्या बदलाव कर सकता/सकती हूँ (जैसे और अधिक व्यावहारिक अभ्यास, रोल-प्ले)?

अभिनव शिक्षण उपकरण (प्रयुक्त उपकरण) (Innovative Teaching Tool Used (if any)):

 * इंटरैक्टिव प्रारूप बोर्ड: एक बड़ा चार्ट जिस पर पत्र का प्रारूप बना हो और उसके विभिन्न हिस्सों को फ्लैप्स के नीचे या अलग-अलग रंगों से दर्शाया गया हो ताकि छात्र उसे खोलकर या पलटकर देख सकें।

 * डिजिटल टेम्प्लेट: छात्रों को विभिन्न प्रकार के पत्रों के डिजिटल टेम्प्लेट दिखाएं और उन्हें कंप्यूटर पर (यदि सुविधा हो) उन पर अभ्यास करने को कहें।

 * रोल-प्ले: छात्रों को काल्पनिक परिस्थितियों में एक-दूसरे को पत्र लिखने (और पढ़कर सुनाने) का रोल-प्ले करवाएं।

 * वीडियो ट्यूटोरियल: पत्र लेखन के प्रारूप और मुख्य बिंदुओं पर बने छोटे शैक्षिक वीडियो दिखाएं।

 * "पत्र लेखन चुनौती": कक्षा में एक मासिक "पत्र लेखन चुनौती" आयोजित करें जहाँ छात्रों को दिए गए विषय पर सर्वश्रेष्ठ पत्र लिखने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

 * पत्रों का संग्रह: छात्रों द्वारा लिखे गए अच्छे पत्रों का एक संग्रह (उदाहरण के रूप में) बनाना।


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