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10th Hindi MT Spell - V.pdf' प्रश्न पत्र के उत्तर

'10th Hindi MT Spell - V.pdf' प्रश्न पत्र के उत्तर  I. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर सूचना के अनुसार लिखिए (5 x 1 = 5)  * धरती के सवाल अंतरिक्ष के जवाब ।    (रेखांकित शब्द धरती का तत्सम रूप विकल्पों में से पहचान कर लिखिए।)    * उत्तर: धरित्री  * राधा पाठशाला जाती है।    (इस वाक्य में क्रिया पहचान कर लिखिए ।)    * उत्तर: जाती है  * दो हजार बीस (हिन्दी अक्षरों को पढ़कर संख्याओं को विकल्पों में से पहचान कर लिखिए।)    * उत्तर: 2020  * रक्षा अनुसंधान और विज्ञान का पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था। (कारक पहचान कर विकल्पों में से लिखिए।)    * उत्तर: का (यह संबंध कारक है)  * हम सभी जल पर निर्भर प्राणी हैं। (रेखांकित शब्द का सही पर्याय विकल्पों में से पहचान कर लिखिए।)    * उत्तर: पानी, नीर II. निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर एक वाक्य में उत्तर दीजिए (5M) यह गद्यांश मीना के घर पर मौसा-मौसी के आने और बरसात में खेलने के बारे में है। अ) मीना के घर कौन रहने आये थे ? (2M)  * उत्तर: गर्मी के दिनों म...

पाठ योजना -व्याकरणांश

 

पाठ योजना (Lesson Plan)

विषय: हिंदी

कक्षा: 10वीं

पाठ: व्याकरणांश लेखन (व्याकरण का व्यावहारिक प्रयोग)

पुस्तक: सुगंध-2 (व्याकरण खंड)

बोर्ड: Board of Secondary Education, Andhra Pradesh

आवश्यक पीरियड की संख्या (धीमे सीखने वालों के लिए): 6-8 पीरियड्स (व्याकरण के शामिल विषयों पर निर्भर करता है)

शिक्षक का नाम: मासिपोगु चिन्ना महा देवुडु

अधिगम उद्देश्य (Learning Objectives):

 * छात्र पाठ में शामिल व्याकरण के विभिन्न अंशों (जैसे संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण, अव्यय, संधि, समास, वाक्य भेद, शुद्ध-अशुद्ध वाक्य, मुहावरे, लोकोक्तियाँ आदि) को पहचान पाएंगे।

 * छात्र इन व्याकरणिक नियमों को समझ पाएंगे और उनका सही प्रयोग कर पाएंगे।

 * छात्र वाक्यों में व्याकरणिक अशुद्धियों को पहचान कर उन्हें शुद्ध कर पाएंगे।

 * छात्र व्याकरण के नियमों का प्रयोग करते हुए सार्थक वाक्य रचना कर पाएंगे।

 * छात्र दिए गए निर्देशों के अनुसार वाक्यों का रूपांतरण कर पाएंगे (जैसे वाच्य परिवर्तन, वाक्य भेद परिवर्तन)।

 * छात्र अपनी लेखन क्षमता और व्याकरणिक शुद्धता का विकास कर पाएंगे।

मुख्य क्षमताएँ (Key Competencies):

 * भाषा ज्ञान (Language Proficiency): हिंदी व्याकरण के नियमों की गहरी समझ और उनका सही प्रयोग।

 * व्याकरणिक शुद्धता (Grammatical Accuracy): वाक्यों में सही व्याकरण, वर्तनी और विराम चिह्नों का प्रयोग।

 * विश्लेषण कौशल (Analytical Skills): वाक्यों की संरचना का विश्लेषण कर व्याकरणिक तत्वों को पहचानना।

 * समस्या-समाधान (Problem-Solving): व्याकरणिक समस्याओं को पहचानना और उनका समाधान खोजना (जैसे अशुद्ध वाक्य को शुद्ध करना)।

 * लेखन कौशल (Writing Skills): स्पष्ट और व्याकरणिक रूप से सही वाक्य और अनुच्छेद लिखना।

 * स्मरण शक्ति (Memory): व्याकरणिक नियमों और उदाहरणों को याद रखना।

 * तार्किक चिंतन (Logical Reasoning): व्याकरण के नियमों के पीछे के तर्क को समझना।

सेट इंडक्शन (Set Induction):

 * भाषा और शुद्धता: शिक्षक छात्रों से पूछेंगे कि भाषा में शुद्धता क्यों महत्वपूर्ण है।

   * क्या हमें हमेशा सही हिंदी बोलनी और लिखनी चाहिए? क्यों?

   * अगर हम गलत शब्द का प्रयोग करें या गलत वाक्य बनाएं तो क्या होगा? (उदाहरण: 'राम किताब खाता है' - गलत, 'राम किताब पढ़ता है' - सही)।

 * व्याकरण का महत्व: बताएं कि व्याकरण हमें भाषा को सही तरीके से बोलने और लिखने में मदद करता है।

 * शीर्षक का परिचय: 'व्याकरणांश लेखन' का अर्थ समझाएं – इसका मतलब है व्याकरण के अलग-अलग हिस्सों को समझना और फिर उन्हें लिखने में सही तरीके से इस्तेमाल करना।

 * एक सरल अशुद्ध वाक्य: श्यामपट्ट पर एक बहुत ही सरल व्याकरणिक अशुद्धि वाला वाक्य लिखें (जैसे 'वह खाना खा रही है' की जगह 'वह खाना खा रहा है' अगर कर्ता स्त्रीलिंग हो) और छात्रों से उसे सुधारने को कहें। इससे उनकी जिज्ञासा जगाएं।

अधिगम गतिविधियाँ (Lesson Activities):

(यह योजना व्याकरण के उन विशिष्ट विषयों पर आधारित होगी जो 'सुगंध-2' के 'व्याकरणांश लेखन' खंड में शामिल हैं। यहाँ कुछ सामान्य विषयों को शामिल किया गया है। शिक्षक को अपनी पुस्तक के अनुसार विषयों को चुनना होगा।)

पीरियड 1: संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया की पहचान

 * संक्षिप्त पुनरावृत्ति: कक्षा 9वीं में पढ़े गए संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया की परिभाषाओं की संक्षिप्त पुनरावृत्ति।

 * पहचान का अभ्यास: विभिन्न वाक्यों में से इन व्याकरणिक अंशों को पहचानने का अभ्यास करवाएं।

   * उदा: 'राम अच्छा लड़का है।' (राम-संज्ञा, अच्छा-विशेषण, है-क्रिया)।

 * वाक्य निर्माण: छात्रों को इन शब्दों का प्रयोग करके सरल वाक्य बनाने को कहें।

   * धीमे सीखने वालों के लिए: 'संज्ञा' का प्रयोग करके 2 वाक्य बनाएं। 'विशेषण' का प्रयोग करके 2 वाक्य बनाएं।

 * कठिन शब्दार्थ: 'व्याकरणांश', 'शब्द भेद', 'भेद', 'उदाहरण' जैसे शब्दों के अर्थ श्यामपट्ट पर लिखें।

PERIOD 2: वाक्य शुद्धि - लिंग, वचन, कारक संबंधी अशुद्धियाँ

 * अशुद्धियों के प्रकार: लिंग, वचन और कारक संबंधी सामान्य अशुद्धियों पर चर्चा करें।

   * लिंग: 'वह खाना खाता है' (स्त्रीलिंग के लिए)। 'वह खाना खाती है।'

   * वचन: 'बच्चा खेल रहे हैं।' 'बच्चे खेल रहे हैं।'

   * कारक: 'राम ने रोटी को खाया।' 'राम ने रोटी खाई।'

 * नियमों की व्याख्या: प्रत्येक अशुद्धि के पीछे के नियम को सरल भाषा में समझाएं।

 * शुद्धिकरण का अभ्यास: श्यामपट्ट पर अशुद्ध वाक्य लिखें और छात्रों से सामूहिक रूप से या व्यक्तिगत रूप से उन्हें शुद्ध करवाने का अभ्यास करवाएं।

   * धीमे सीखने वालों के लिए: केवल लिंग और वचन संबंधी अशुद्धियों पर ध्यान दें।

 * अभ्यास: छात्रों को 5-7 अशुद्ध वाक्य दें और उन्हें शुद्ध करने को कहें (कक्षा कार्य)।

PERIOD 3: वाक्य शुद्धि - क्रिया, विशेषण, सर्वनाम संबंधी अशुद्धियाँ

 * पुनरावृत्ति: पिछले पीरियड की शुद्धि संबंधी अशुद्धियों की संक्षिप्त पुनरावृत्ति।

 * अशुद्धियों के प्रकार: क्रिया, विशेषण और सर्वनाम संबंधी अशुद्धियों पर चर्चा करें।

   * क्रिया: 'वे बाजार जाएगा।' 'वे बाजार जाएँगे।'

   * विशेषण: 'वह सबसे सुंदरतम है।' 'वह सबसे सुंदर है।'

   * सर्वनाम: 'मेरे को जाना है।' 'मुझे जाना है।'

 * नियमों की व्याख्या: प्रत्येक अशुद्धि के पीछे के नियम को सरल भाषा में समझाएं।

 * शुद्धिकरण का अभ्यास: श्यामपट्ट पर अशुद्ध वाक्य लिखें और छात्रों से सामूहिक रूप से या व्यक्तिगत रूप से उन्हें शुद्ध करवाने का अभ्यास करवाएं।

 * अभ्यास: छात्रों को 5-7 अशुद्ध वाक्य दें और उन्हें शुद्ध करने को कहें (कक्षा कार्य)।

PERIOD 4: वाक्य रूपांतरण - वाच्य परिवर्तन (कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य)

 * वाच्य का परिचय: वाच्य क्या होता है (क्रिया का वह रूप जिससे पता चले कि क्रिया का मुख्य विषय कर्ता, कर्म या भाव है)।

 * कर्तृवाच्य: परिभाषा और उदाहरण।

 * कर्मवाच्य: परिभाषा, 'के द्वारा/द्वारा' का प्रयोग, और उदाहरण।

 * परिवर्तन के नियम: कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में बदलने के सरल नियम समझाएं (क्रिया में परिवर्तन, 'से' या 'के द्वारा' का प्रयोग)।

   * उदा: 'राम पुस्तक पढ़ता है।' \to 'राम के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।'

 * अभ्यास: श्यामपट्ट पर कर्तृवाच्य के वाक्य लिखें और छात्रों से उन्हें कर्मवाच्य में बदलने का अभ्यास करवाएं।

   * धीमे सीखने वालों के लिए: केवल 3-4 सरल वाक्यों का अभ्यास कराएं।

PERIOD 5: वाक्य भेद (रचना के आधार पर) - सरल, संयुक्त, मिश्र वाक्य

 * वाक्य भेद का परिचय: वाक्य की परिभाषा और रचना के आधार पर उसके भेदों का परिचय।

 * सरल वाक्य: परिभाषा और उदाहरण।

 * संयुक्त वाक्य: परिभाषा, समुच्चयबोधकों (और, तथा, या, किंतु आदि) का प्रयोग और उदाहरण।

 * मिश्र वाक्य: परिभाषा, आश्रित उपवाक्य, और योजक शब्दों (जो, जब, जहाँ, कि, क्योंकि आदि) का प्रयोग और उदाहरण।

 * पहचान और रूपांतरण: विभिन्न वाक्यों को पहचानने और उन्हें एक-दूसरे में रूपांतरित करने का अभ्यास करवाएं।

   * उदा: 'राम आता है और श्याम जाता है।' \to 'राम के आने पर श्याम जाता है।'

   * धीमे सीखने वालों के लिए: केवल पहचान पर अधिक ध्यान दें।

PERIOD 6: मुहावरे और लोकोक्तियाँ

 * परिचय: मुहावरे और लोकोक्तियाँ क्या होती हैं (भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाने वाले वाक्यांश/वाक्य)।

 * अंतर: मुहावरे (वाक्यांश, क्रिया पद के साथ प्रयोग) और लोकोक्ति (पूर्ण वाक्य, स्वतंत्र प्रयोग) में अंतर समझाएं।

 * अर्थ और वाक्य प्रयोग: कुछ महत्वपूर्ण मुहावरे और लोकोक्तियाँ (जो पाठ्यपुस्तक में हों) श्यामपट्ट पर लिखें।

   * उनका अर्थ समझाएं।

   * उनका वाक्य में प्रयोग करके दिखाएं।

   * छात्रों को मुहावरों का प्रयोग करके वाक्य बनाने का अभ्यास करवाएं।

   * उदा: 'आँखों का तारा' (बहुत प्यारा) \to 'राम अपनी माँ की आँखों का तारा है।'

 * अभ्यास: छात्रों को 5-7 मुहावरे/लोकोक्तियाँ दें और उनके अर्थ व वाक्य प्रयोग लिखने को कहें (कक्षा कार्य)।

पडागॉजी दृष्टिकोण (Pedagogical Approaches):

 * प्रत्यक्ष शिक्षण (Direct Instruction): व्याकरणिक नियमों और परिभाषाओं को स्पष्ट रूप से समझाना।

 * प्रदर्शन विधि (Demonstration Method): श्यामपट्ट पर उदाहरणों के साथ नियमों का प्रयोग करके दिखाना।

 * पुनरावृत्ति और अभ्यास (Repetition and Practice): प्रत्येक नियम और अवधारणा का बार-बार दोहराव, और पर्याप्त अभ्यास के अवसर, विशेषकर धीमे सीखने वालों के लिए।

 * चरण-दर-चरण शिक्षण (Step-by-Step Instruction): जटिल व्याकरणिक अवधारणाओं को छोटे, प्रबंधनीय चरणों में तोड़ना।

 * नियमित प्रतिक्रिया (Regular Feedback): छात्रों द्वारा किए गए अभ्यास पर तत्काल और रचनात्मक प्रतिक्रिया देना।

 * समस्या-समाधान (Problem-Solving): व्याकरणिक अशुद्धियों को पहचानने और शुद्ध करने के अभ्यास के माध्यम से।

 * बाल-केंद्रित दृष्टिकोण (Child-Centered Approach): छात्रों की व्यक्तिगत कठिनाइयों को पहचानना और अतिरिक्त सहायता प्रदान करना।

 * दृश्य सहायता (Visual Aids): चार्ट, उदाहरणों से भरे फ्लैशकार्ड्स का प्रयोग।

अधिगम उपकरण प्रयुक्त (Learning Tools Used):

 * श्यामपट्ट (Blackboard) और चाक/मार्कर

 * पाठ्यपुस्तक (Textbook) - सुगंध-2 (व्याकरण खंड)

 * प्रत्येक व्याकरण विषय के लिए तैयार किए गए चार्ट (नियमों और उदाहरणों के साथ)

 * व्याकरणिक अशुद्धियों वाले वाक्यों के फ्लैशकार्ड्स (शुद्ध करने के लिए)

 * मुहावरों और लोकोक्तियों के फ्लैशकार्ड्स (एक तरफ मुहावरा, दूसरी तरफ अर्थ और वाक्य प्रयोग)

 * व्याकरणिक क्विज़ शीट

अधिगम परिणाम रणनीतियाँ (Learning Outcomes Strategies):

 * विभिन्न व्याकरणिक अंशों (संज्ञा, सर्वनाम आदि) को वाक्यों में पहचानना।

 * दिए गए अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध कर पाना।

 * वाच्य परिवर्तन और वाक्य भेद परिवर्तन के नियमों का प्रयोग करना।

 * मुहावरों और लोकोक्तियों का अर्थ समझकर वाक्य में प्रयोग करना।

 * व्याकरणिक रूप से सही वाक्य रचना कर पाना।

कक्षा कार्य असाइनमेंट (CW Assigned):

 * निम्नलिखित वाक्यों में से संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण पहचानिए:

   * 'रवि अच्छा लड़का है।'

   * 'वह मेरी पुस्तक है।'

 * निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध कीजिए:

   * 'मेरे को स्कूल जाना है।'

   * 'बच्चा खेल रहा है।' (यदि बहुवचन में हो)

 * 'आँखें दिखाना' मुहावरे का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए।

गृह कार्य असाइनमेंट (HW Assigned):

 * अपनी पाठ्यपुस्तक से 5-7 ऐसे वाक्य खोजिए जिनमें व्याकरणिक अशुद्धि हो सकती है (या शिक्षक द्वारा दिए गए वाक्य) और उन्हें शुद्ध कीजिए।

 * कर्तृवाच्य के 3 वाक्य लिखिए और उन्हें कर्मवाच्य में बदलिए।

 * अपनी पाठ्यपुस्तक से 5 मुहावरे और 3 लोकोक्तियाँ चुनिए, उनके अर्थ लिखिए और वाक्य में प्रयोग कीजिए।

 * 'सरल वाक्य', 'संयुक्त वाक्य' और 'मिश्र वाक्य' की परिभाषा और प्रत्येक के 2-2 उदाहरण लिखिए।

मूल्यांकन (Assessment):

 * औपचारिक मूल्यांकन:

   * लिखित परीक्षा:

     * दिए गए वाक्यों में व्याकरणिक अंशों की पहचान।

     * अशुद्ध वाक्यों का शुद्धिकरण।

     * वाच्य परिवर्तन/वाक्य भेद परिवर्तन।

     * मुहावरे/लोकोक्तियों का अर्थ और वाक्य प्रयोग।

     * बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions) व्याकरणिक नियमों पर आधारित।

 * अनौपचारिक मूल्यांकन:

   * कक्षा में व्याकरण अभ्यास में भागीदारी।

   * प्रश्नोत्तरों में भागीदारी।

   * व्याकरणिक नियमों को समझने और लागू करने में प्रगति।

   * धीमे सीखने वालों की व्याकरणिक शुद्धता में सुधार।

   * होमवर्क असाइनमेंट की गुणवत्ता।

पुस्तक संदर्भ (Book Reference):

 * कक्षा 10वीं की हिंदी पाठ्यपुस्तक 'सुगंध-2' (व्याकरण खंड: व्याकरणांश लेखन)।

 * बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन, आंध्र प्रदेश द्वारा निर्धारित व्याकरण पुस्तकें।

 * अन्य हिंदी व्याकरण की सहायक पुस्तकें (जैसे 'लुसेंट सामान्य हिंदी', 'हरदेव बाहरी' आदि)।

छात्र अवलोकन (Student Observation):

 * किन छात्रों को व्याकरणिक नियमों (विशेषकर वाच्य परिवर्तन या वाक्य भेद) को समझने में कठिनाई हो रही है?

 * किस छात्र को विशेष रूप से लिंग, वचन या कारक संबंधी अशुद्धियों को पहचानने में मदद की आवश्यकता है?

 * क्या छात्र मुहावरों और लोकोक्तियों के लाक्षणिक अर्थ को समझ पा रहे हैं?

 * कौन से छात्र व्याकरण के नियमों का प्रयोग करके सही वाक्य रचना कर पा रहे हैं?

 * धीमे सीखने वालों को किन व्याकरणिक पहलुओं (जैसे संज्ञा की पहचान, सरल वाक्य शुद्ध करना) में अधिक व्यक्तिगत अभ्यास की आवश्यकता है?

स्वयं का शिक्षण अवलोकन (Own Teaching Observation):

 * क्या मैंने प्रत्येक व्याकरणिक अवधारणा को पर्याप्त स्पष्टता और उदाहरणों के साथ समझाया?

 * क्या मैंने छात्रों को व्याकरणिक नियमों का प्रयोग करने के लिए पर्याप्त अभ्यास के अवसर प्रदान किए?

 * क्या मेरी शिक्षण विधियाँ धीमे सीखने वालों की आवश्यकताओं को पूरा कर रही थीं और उन्हें विषय को समझने में मदद मिली?

 * क्या मैं छात्रों में व्याकरण की शुद्धता के प्रति रुचि और जागरूकता जगाने में सफल रहा/रही?

 * अगली बार इस पाठ को पढ़ाते समय मैं अपनी शिक्षण रणनीति में क्या बदलाव कर सकता/सकती हूँ (जैसे और अधिक खेल-आधारित गतिविधियाँ, व्यावहारिक उदाहरण)?

अभिनव शिक्षण उपकरण (प्रयुक्त उपकरण) (Innovative Teaching Tool Used (if any)):

 * व्याकरणिक खेल: 'पहचानो मैं कौन हूँ' (संज्ञा, सर्वनाम आदि), 'वाक्य बनाओ', 'अशुद्ध से शुद्ध' जैसे खेल।

 * डिजिटल फ्लैशकार्ड्स/क्विज़: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (जैसे Quizlet, Kahoot) का उपयोग करके व्याकरण नियमों और उदाहरणों पर इंटरैक्टिव क्विज़।

 * वाक्य निर्माण कार्ड्स: अलग-अलग शब्दों (संज्ञा, क्रिया, विशेषण) के कार्ड्स बनाना और छात्रों को उनसे वाक्य बनाने को कहना।

 * रोल-प्ले: कुछ संवादों को लिखकर उनमें जानबूझकर व्याकरणिक अशुद्धियाँ छोड़ना और छात्रों को उन्हें सही करने को कहना।

 * ग्रामर चेक ऐप्स/वेबसाइट्स: छात्रों को सरल ग्रामर चेकिंग ऐप्स या वेबसाइट्स का परिचय देना (केवल सीखने के लिए, परीक्षा में उपयोग के लिए नहीं)।

 * संगीतमय व्याकरण: यदि उपलब्ध हो, तो व्याकरण के नियमों पर आधारित कोई सरल गीत या कविता का उपयोग करना ताकि उन्हें याद रखना आसान हो।


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