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MahaabhojMD
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तुझे याद करके
प्रेम को याद करके
चकित हो जाता हूँ मैं...
यह कितनी अजीब सी है
भले ही तुम मेरे प्रेम पर हँसे...
भले ही तुम मुझ पर हँसे..
भले ही कहानी ख़त्म की हो यही..
पर ख़्वाब टूटा नहीं,
बस.. कुछ पल भूलक्कड बनने की
कोशिश करता हूँ ।
खेल खेला है मेरे साथ निर्दयी भगवान
प्राप्त न कर हारा है जीवन
और स्वयं को खो बैठा है
भारी वर्षा में नमक जैसे
आँधी में तिनका जैसे ।।
ज़मीन आसमान एक नहीं हो सकती है माने
तुम से दूर होने तक नहीं जान पाया
मैंने अपनी आँखों में प्रेममहल बना लिया
सोचा नहीं था कि आज पतन हो जायेगा
आज इच्छित योग असफल हो गया है
सनम एक बार समझो प्रेम को
जरा सोचो मेरे बारे में
पहुंचकर, उस अँधेरे को देखो
जो मुझ तक पहुँच गया है
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