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आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

ख़्वाब टूटा नहीं

 तुझे याद करके

प्रेम को याद करके   

 चकित हो जाता हूँ मैं... 

यह कितनी अजीब सी है

भले ही तुम मेरे प्रेम पर हँसे... 

भले ही तुम मुझ पर हँसे..

भले ही कहानी ख़त्म की हो यही.. 

पर ख़्वाब टूटा नहीं, 

बस.. कुछ पल भूलक्कड बनने की 

कोशिश करता हूँ ।


खेल खेला है मेरे साथ निर्दयी भगवान

प्राप्त न कर हारा है जीवन 

और स्वयं को खो बैठा है 

भारी वर्षा में नमक जैसे 

आँधी में तिनका जैसे  ।।


ज़मीन आसमान एक नहीं हो सकती है माने

तुम से दूर होने तक नहीं जान पाया


मैंने अपनी आँखों में प्रेममहल बना लिया

सोचा नहीं था कि आज पतन हो जायेगा

आज इच्छित योग असफल हो गया है

सनम एक बार समझो प्रेम को 

जरा सोचो मेरे बारे में

पहुंचकर, उस अँधेरे को देखो 

जो मुझ तक पहुँच गया है


 

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