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बाँट सके आपस में।।

न प्रेम न मित्रता 
न नौकरी न चौकरी
न सुख भरी चैन न आँख भरी नींद 
न साथ मित्र न साथ परिवार 
ऐसी जिंदगी बदलेगी कब
कब आएगी वह 
जो हर ग़म हर खुशी 
बाँट सके आपस में।।

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