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मुहब्बत का अंज़ाम

 बेताबी बेचैनी को अपनाना  भीड़ में अकेला होना  अकेले में आँसू पीना  प्यार की गीतों में प्यारी नजर आना  निरुत्साह निराश में डुबे रहना  लड़कियों के प्रति नफ़रत होना  जोश मस्ती में मन नहीं लगना  आदि सभी लक्षण आ जाते हैं  अगर मुहब्बत में मन मूर्जाने तो  अतएव कम दिन के  जिंदगी को और जवानी को  प्रेम नामक अभिनय के खातिर  अपना न होने पराया के लिए  त्याग देना महान पाप है  इससे अच्छा  प्रेमनगर के द्वार को बंद करके  स्वर्गनगर के द्वार को  खोलना है उचित।।

तेरे तेवर

 तेरे तेवर

 मैं देख रहा हूँ माने नखरे दिखाना मत चैल छबीली 

मैं पास आ रहा हूँ माने उडना मत पगली 

मैं चाहता हूँ माने जानकर तड़पाना मत दिलवाली

मैं बात कर रहा हूँ माने भागना मत मतवाली 

बस इतना है कि देखे तुम मेरे हर दर्द मुस्कुराते हैं

मैं जानता हूँ हम एक दूसरे को दो पल की मेहमान है 

फिर भी मुझे समझ में नहीं आता कि 

मुझे देखते ही तेरे तेवर बदलती क्यों?


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