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MahaabhojMD
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मोहब्बत .. मोहब्बत.. तुम्हारा मंजिल
प्रलय पैदा करना ही है क्या? ?
बेताब बेचैनी ही बचा है मन में
नाजुक हृदय में लाजवाब लहर जौसा
रूखे नहीं कई रोकने तो भी ..
मोहब्बत .. मोहब्बत.. तुम्हारा मंजिल
प्रलय पैदा करना ही है क्या? ?
काल ही लिखी है कहानी
उस कहानी में ना भूले घाव
बंधन के खेल में किस को मिली जीत
किसको मिली हार
जानना हुआ नामुमकिन ..
मोहब्बत .. मोहब्बत.. तुम्हारा मंजिल
प्रलय पैदा करना ही है क्या? ?
जीवन चक्र में जो जादू
दुखी भरे विरह ही बचाया है
आंसुओं से बहे सागर
लहर बनकर छोड़ दी
चक्रव्यूह में जहाज होकर
जिंदगी बदल दी
बाहर निकलने की ढूंढने तो भी
ना मिले कोई मार्ग मुझे
मोहब्बत .. मोहब्बत.. तुम्हारा मंजिल
प्रलय पैदा करना ही है क्या? ?
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