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मुहब्बत का अंज़ाम

 बेताबी बेचैनी को अपनाना  भीड़ में अकेला होना  अकेले में आँसू पीना  प्यार की गीतों में प्यारी नजर आना  निरुत्साह निराश में डुबे रहना  लड़कियों के प्रति नफ़रत होना  जोश मस्ती में मन नहीं लगना  आदि सभी लक्षण आ जाते हैं  अगर मुहब्बत में मन मूर्जाने तो  अतएव कम दिन के  जिंदगी को और जवानी को  प्रेम नामक अभिनय के खातिर  अपना न होने पराया के लिए  त्याग देना महान पाप है  इससे अच्छा  प्रेमनगर के द्वार को बंद करके  स्वर्गनगर के द्वार को  खोलना है उचित।।

मोहब्बत .. मोहब्बत.. तुम्हारा मंजिल प्रलय पैदा करना ही है क्या? ?

 मोहब्बत .. मोहब्बत.. तुम्हारा मंजिल 

प्रलय पैदा करना ही है क्या? ?



बेताब बेचैनी ही बचा है मन में 

नाजुक हृदय में लाजवाब लहर जौसा 

रूखे नहीं कई रोकने तो भी ..

मोहब्बत .. मोहब्बत.. तुम्हारा मंजिल 

प्रलय पैदा करना ही है क्या? ?

काल ही लिखी है कहानी

उस कहानी में ना भूले घाव

बंधन के खेल में किस को मिली जीत 

किसको मिली हार 

जानना हुआ नामुमकिन ..

मोहब्बत .. मोहब्बत.. तुम्हारा मंजिल 

प्रलय पैदा करना ही है क्या? ?

जीवन चक्र में जो जादू 

दुखी भरे विरह ही बचाया है

आंसुओं से बहे सागर 

लहर बनकर छोड़ दी 

चक्रव्यूह में जहाज होकर 

जिंदगी बदल दी 

बाहर निकलने की ढूंढने तो भी 

ना मिले कोई मार्ग मुझे

मोहब्बत .. मोहब्बत.. तुम्हारा मंजिल 

प्रलय पैदा करना ही है क्या? ?



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