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आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

मोहब्बत .. मोहब्बत.. तुम्हारा मंजिल प्रलय पैदा करना ही है क्या? ?

 मोहब्बत .. मोहब्बत.. तुम्हारा मंजिल 

प्रलय पैदा करना ही है क्या? ?



बेताब बेचैनी ही बचा है मन में 

नाजुक हृदय में लाजवाब लहर जौसा 

रूखे नहीं कई रोकने तो भी ..

मोहब्बत .. मोहब्बत.. तुम्हारा मंजिल 

प्रलय पैदा करना ही है क्या? ?

काल ही लिखी है कहानी

उस कहानी में ना भूले घाव

बंधन के खेल में किस को मिली जीत 

किसको मिली हार 

जानना हुआ नामुमकिन ..

मोहब्बत .. मोहब्बत.. तुम्हारा मंजिल 

प्रलय पैदा करना ही है क्या? ?

जीवन चक्र में जो जादू 

दुखी भरे विरह ही बचाया है

आंसुओं से बहे सागर 

लहर बनकर छोड़ दी 

चक्रव्यूह में जहाज होकर 

जिंदगी बदल दी 

बाहर निकलने की ढूंढने तो भी 

ना मिले कोई मार्ग मुझे

मोहब्बत .. मोहब्बत.. तुम्हारा मंजिल 

प्रलय पैदा करना ही है क्या? ?



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