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आधिपत्य के लिए तरस

 अबला हूँ अबला हूँ माने 

 आजादी को ओढ कर 

नादान बोली, मासूम चेहरा बनाकर

अपने जवानी हुस्न को अस्त्र बनाकर 

उच्च अधिकारी को भी अपने हाथों में लेकर 

अपने मर्जी चला कर 

अहं से पेट भर कर 

कहीं कुछ रिक्त हो गई तो 

दूसरों पर अपनी चाल चला कर 

मैं ही अच्छी हूँ बाकी लोग  

कामचोर हैं  माने बातें बना कर 

आधिपत्य के लिए तरसकर 

हवा में महल बनाकर 

उच्च अधिकारियों को प्रसन्न करने के लिए 

हर हद को पार कर

नाक में दम कर रही हो

याद रख एक बात

कभी नाव गाड़ी पर 

कभी गाड़ी नाव पर ।।






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