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मुहब्बत का अंज़ाम

 बेताबी बेचैनी को अपनाना  भीड़ में अकेला होना  अकेले में आँसू पीना  प्यार की गीतों में प्यारी नजर आना  निरुत्साह निराश में डुबे रहना  लड़कियों के प्रति नफ़रत होना  जोश मस्ती में मन नहीं लगना  आदि सभी लक्षण आ जाते हैं  अगर मुहब्बत में मन मूर्जाने तो  अतएव कम दिन के  जिंदगी को और जवानी को  प्रेम नामक अभिनय के खातिर  अपना न होने पराया के लिए  त्याग देना महान पाप है  इससे अच्छा  प्रेमनगर के द्वार को बंद करके  स्वर्गनगर के द्वार को  खोलना है उचित।।

आधिपत्य के लिए तरस

 अबला हूँ अबला हूँ माने 

 आजादी को ओढ कर 

नादान बोली, मासूम चेहरा बनाकर

अपने जवानी हुस्न को अस्त्र बनाकर 

उच्च अधिकारी को भी अपने हाथों में लेकर 

अपने मर्जी चला कर 

अहं से पेट भर कर 

कहीं कुछ रिक्त हो गई तो 

दूसरों पर अपनी चाल चला कर 

मैं ही अच्छी हूँ बाकी लोग  

कामचोर हैं  माने बातें बना कर 

आधिपत्य के लिए तरसकर 

हवा में महल बनाकर 

उच्च अधिकारियों को प्रसन्न करने के लिए 

हर हद को पार कर

नाक में दम कर रही हो

याद रख एक बात

कभी नाव गाड़ी पर 

कभी गाड़ी नाव पर ।।






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