विशेष रुप से प्रदर्शित पोस्ट

मुहब्बत का अंज़ाम

 बेताबी बेचैनी को अपनाना  भीड़ में अकेला होना  अकेले में आँसू पीना  प्यार की गीतों में प्यारी नजर आना  निरुत्साह निराश में डुबे रहना  लड़कियों के प्रति नफ़रत होना  जोश मस्ती में मन नहीं लगना  आदि सभी लक्षण आ जाते हैं  अगर मुहब्बत में मन मूर्जाने तो  अतएव कम दिन के  जिंदगी को और जवानी को  प्रेम नामक अभिनय के खातिर  अपना न होने पराया के लिए  त्याग देना महान पाप है  इससे अच्छा  प्रेमनगर के द्वार को बंद करके  स्वर्गनगर के द्वार को  खोलना है उचित।।

इतना बुरे दिन नहीं आया

 नहीं देख पा रहा हूँ दिखाने वालियों की

तेरी क्या देखूँ 

अगर देखना है तो मेरे जैसे जवानों के लिए 

whatsapp में ,facebook में 

youtube में ,Google में 

कॉलेजों के बाहर एवं सड़कों पर

अंग-अंग को तरह-तरह की शैलियों में 

आधा ओढकर ,आधा खोलकर 

कभी-कभी हवा के सहारे 

पूरा दिखाने को योजना बनाकर 

पूरे दिन में पूरा दिखाने वालियों की 

देखने की आँख भर के 

समय नहीं है मेरा पास

तेरे लिए समय निकाल कर 

कैसे देख सकूँ 

और एक बात है 

मेरे जीवन में इतना बुरे दिन नहीं आया कि 

 दिखाने वालियों को, जवान लड़कियों को 

छोड़कर तुझे देखूँ 

अतिएव उड़ना मत।।

टिप्पणियाँ