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आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

अलंकार : Explanation in Hindi and Telugu

 अलंकार: Explanation Hindi and Telugu

अलंकार काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्वों को कहते हैं. जिस प्रकार आभूषण स्त्री के सौंदर्य को बढ़ाते हैं, उसी प्रकार अलंकार काव्य के सौंदर्य और आकर्षण को बढ़ाते हैं. अलंकार के प्रयोग से भाषा में चमत्कार उत्पन्न होता है और वह अधिक प्रभावशाली बन जाती है.

अलंकार (2)

हिंदी में अलंकार को मुख्य रूप से दो भेदों में बांटा गया है:

 * 1.शब्दालंकार (Shabdalankar): जब शब्दों के प्रयोग से काव्य में सौंदर्य या चमत्कार उत्पन्न होता है, तो उसे शब्दालंकार कहते हैं। इसमें शब्द विशेष के कारण ही सौंदर्य आता है, यदि उस शब्द को हटाकर उसका पर्यायवाची रख दिया जाए तो सौंदर्य समाप्त हो जाता है.

   * उदाहरण:

     * अनुप्रास अलंकार: एक ही वर्ण की आवृत्ति  बार-बार हो.

       * उदाहरण: "चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही हैं जल थल में." (यहाँ 'च' वर्ण की आवृत्ति है)

     *  यमक अलंकार: एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार  आए और हर बार उसका अर्थ भिन्न हो.

       * उदाहरण: "कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय, या खाए बौराए जग, वा पाए बौराए." (एक 'कनक' का अर्थ सोना और दूसरे का धतूरा है)

     * श्लेष अलंकार: एक शब्द के कई अर्थ चिपके हों.

       * उदाहरण: "रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून. पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून." (यहाँ 'पानी' के तीन अर्थ हैं: चमक, प्रतिष्ठा और जल)

 * 2.अर्थालंकार (Arthalamkar): जब काव्य में अर्थ के कारण सौंदर्य या चमत्कार उत्पन्न होता है, तो उसे अर्थालंकार कहते हैं. इसमें शब्द बदलने पर भी अर्थ सौंदर्य बना रहता है.

   * उदाहरण:

     * उपमा अलंकार: दो वस्तुओं में समानता दिखाना (उपमेय और उपमान की तुलना).

       * उदाहरण: "पीपर पात सरिस मन डोला." (मन की तुलना पीपल के पत्ते से की गई है)

     * रूपक अलंकार: उपमेय और उपमान में भेद रहित आरोप (अभेद).

       * उदाहरण: "चरण कमल बंदौ हरिराई." (चरणों को ही कमल मान लिया गया है)

     * उत्प्रेक्षा अलंकार: उपमेय में उपमान की संभावना व्यक्त करना (मानो, मनु, जानो, जनु आदि शब्दों का प्रयोग).

       * उदाहरण:  कृष्ण के श्याम शरीर पर पीताम्बर की ऐसी संभावना है मानो नीलमणि पर्वत पर प्रातःकालीन सूर्य का प्रकाश पड़ रहा हो

                        तेलुगु में अलंकार                                    

तेलुगु में अलंकारों को అలంకారాలు (Alamkaralu) कहा जाता है. हिंदी की तरह ही तेलुगु में भी अलंकारों के मुख्य दो प्रकार हैं:

 * శబ్దాలంకారాలు (Shabdaalamkaralu - शब्दालंकार): जब कविता में शब्दों की ध्वनि या संरचना के कारण सुंदरता आती है.

   * उदाहरण:

     * వృత్త్యానుప్రాసము (Vruttyanuprasam - अनुप्रास): एक ही अक्षर का बार-बार आना.

       * उदाहरण: "తాత నూతన తోరణ తోరణములతో." (यहाँ 'త' अक्षर की आवृत्ति है)

     * యమకము (Yamakamu - यमक): एक ही शब्द अलग-अलग अर्थों में आता है.

       * उदाहरण: "హరిహరి నారాయణ, హరి నారాయణ." (पहला 'హరి' भगवान विष्णु को और दूसरा 'హరి' संबोधन को दर्शाता है)

     * శ్లేష (Shlesha - श्लेष): एक शब्द के कई अर्थ होते हैं.

       * उदाहरण: "కలువ నీరాళులను మించిపోయినది." (यहां 'కలువ' का अर्थ कमल और आंख दोनों हो सकता है)

 * అర్థాలంకారాలు (Arthaalamkaralu - अर्थालंकार): जब कविता में अर्थ के कारण सुंदरता आती है.

   * उदाहरण:

     * ఉపమ (Upama - उपमा): दो चीजों के बीच तुलना.

       * उदाहरण: "ఆమె ముఖము చంద్రుని వలె నున్నది." (उसका चेहरा चंद्रमा जैसा है)

     * రూపకము (Roopakamu - रूपक): उपमेय और उपमान को एक ही मानना.

       * उदाहरण: "అతడు సింహము వంటి వాడు." (वह सिंह के समान है, जहाँ सीधे सिंह मान लिया गया)

     * ఉత్ప్రేక్ష (Utpreksha - उत्प्रेक्षा): उपमेय में उपमान की संभावना व्यक्त करना.

       * उदाहरण: "ఆమె కళ్ళు చేపలు పారినట్లున్నవి." (उसकी आँखें ऐसी लग रही हैं मानो मछलियाँ तैर रही हों)

अलंकार काव्य को सिर्फ सुंदर ही नहीं बनाते, बल्कि उसे अधिक प्रभावी, स्मरणीय और आनंददायक भी बनाते हैं. चाहे हिंदी हो या तेलुगु, अलंकारों का प्रयोग भाषा को जीवंतता प्रदान करता है.

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