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आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

दीया जला रहा हूँ आंधी में

                  दीया जला रहा हूँ आंधी में 

मैं जानता हूँ अंधेरा में 
दीया जला रहा हूँ ।
फिर भी दिया जलाने 
को ही मन लगता है ।
कहाँ दिया जलाना है , कहाँ नहीं 
इतना भी नहीं जानता हूँ ।।
मेरा मन भी चंचल हो गई है 
कभी-कभी जलकर ,
रोनक , महक बढ़ाने को 
कदम आगे बढ़ाती है ,
कभी-कभी जलकर बुझ जाने से 
ज्यादा, बुझकर शांत से रहना 
अच्छे माने सोचती है ।
इस असमंजस में फिर 
कदम आगे बढ़ाता हूँ 
दीया जला देता हूँ।।


                -  महादेव

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