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मुहब्बत का अंज़ाम

 बेताबी बेचैनी को अपनाना  भीड़ में अकेला होना  अकेले में आँसू पीना  प्यार की गीतों में प्यारी नजर आना  निरुत्साह निराश में डुबे रहना  लड़कियों के प्रति नफ़रत होना  जोश मस्ती में मन नहीं लगना  आदि सभी लक्षण आ जाते हैं  अगर मुहब्बत में मन मूर्जाने तो  अतएव कम दिन के  जिंदगी को और जवानी को  प्रेम नामक अभिनय के खातिर  अपना न होने पराया के लिए  त्याग देना महान पाप है  इससे अच्छा  प्रेमनगर के द्वार को बंद करके  स्वर्गनगर के द्वार को  खोलना है उचित।।

दीया जला रहा हूँ आंधी में

                  दीया जला रहा हूँ आंधी में 

मैं जानता हूँ अंधेरा में 
दीया जला रहा हूँ ।
फिर भी दिया जलाने 
को ही मन लगता है ।
कहाँ दिया जलाना है , कहाँ नहीं 
इतना भी नहीं जानता हूँ ।।
मेरा मन भी चंचल हो गई है 
कभी-कभी जलकर ,
रोनक , महक बढ़ाने को 
कदम आगे बढ़ाती है ,
कभी-कभी जलकर बुझ जाने से 
ज्यादा, बुझकर शांत से रहना 
अच्छे माने सोचती है ।
इस असमंजस में फिर 
कदम आगे बढ़ाता हूँ 
दीया जला देता हूँ।।


                -  महादेव

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