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MahaabhojMD
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जीवन में आगे बढ़ना चाहा
अतः शिक्षा को ही चुना
मगर पड़ोसियों की जलन
मूर्खों की बुरे बर्ताव
बड़ों के चमचों की छेड़छाड़
जानबूझकर किये झगड़े
सच जानकर भी
झूठी गवाहों के साथ दिए पुलिस की व्यवहार
धमकाने आए हुए बेशर्म अधिकारियों की बात
थुक खाकर उसका कर्ज चुकाने आये हुए निकम्मा प्रजा
झूठी तारीफों के साथ देने वाला राजनीतिकों के अहंकार
दिन-रात भर देख कर
आना पड़ा आदर्श शिक्षा को छोड़कर
समाज की वास्तविकता के ओर ....
मगर बदले की अपेक्षा खून खौल कर
अपने बोझ को कागजों पर उतार कर
पेट भर के गालियाँ देकर
आह भरकर बद्दुवा देकर
बनने की कुछ छोटे-मोटे तलवार
किया मुझे मजबूर
ऐसी मजबूर दिया मुझको पुकार
ऐसा जो आज हूँ ।।
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