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दिया मुझको पुकार ।। -Ravanpualkhan MD

जीवन में आगे बढ़ना चाहा 

अतः शिक्षा को ही चुना 

मगर पड़ोसियों की जलन 

मूर्खों की बुरे बर्ताव

 बड़ों के चमचों की छेड़छाड़ 

जानबूझकर किये झगड़े 

 सच जानकर भी 

झूठी गवाहों के साथ दिए पुलिस की व्यवहार 

धमकाने आए हुए बेशर्म अधिकारियों की बात 

थुक खाकर उसका कर्ज चुकाने आये हुए निकम्मा प्रजा 

 झूठी तारीफों के साथ देने वाला राजनीतिकों के अहंकार

दिन-रात भर देख कर 

आना पड़ा आदर्श शिक्षा को छोड़कर 

समाज की वास्तविकता के ओर ....

मगर बदले की अपेक्षा खून खौल कर 

अपने बोझ को कागजों पर उतार कर

पेट भर के गालियाँ देकर

आह भरकर बद्दुवा देकर 

बनने की कुछ छोटे-मोटे तलवार

किया मुझे मजबूर

ऐसी मजबूर दिया मुझको पुकार 

ऐसा जो आज हूँ ।।


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