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MahaabhojMD
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यह जिंदगी भी एक अजीब सी है
मित्रों, पागल मित्रों !
कब ,क्यों, कैसे
मिलाएगी और जुदा करवाएगी
मालूम नहीं
रंग में भंग डालना ही
यह जिंदगी का मकसद
माने मुझे लगता है लेकिन
मेरे जिंदगी में उल्टा हो गई मित्रों .....
तुम लोग मिलने के बाद ही
मेरे जिंदगी के भंग में रंग आ गया है
इसकी वजह सिर्फ आप लोग हैं
इसलिए मेरे जिंदगी के रंग का हमसफर
याद रहेगी सदा आप लोगों की संग
हर पल जिंदगी भर उस यादों के साथ
इंतजार भी करता रहूंगा जिंदगी भर
मगर मुझे मंजिल तो हमारे मिलन की है
यह जुदाई बस दो पल की मेहमान है
मेहमान तो जरूर जाना ही पड़ेगा
परंतु दोस्त तो अपना होता है
इसलिए अपनों के साथ आना ही
उसका मकसद होगा
मेहमान की रिश्ता तो नाम की रिश्ता है
किंतु दोस्तों की रिश्ता तो मन की रिश्ता है
पाजी के मन बहलाने की आदत
साजू के साजन-सजनी जैसे हरकत
उषा की भाईचारापन
स्थिति की दुर्गा माता रूप धारण
अनु की हुस्न का जलवा
रियाज की पल-पल की चंचलता
बेन की अजीब व्यवहार
तो हर पल
बहुत याद आती है , बहुत याद आती है
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