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आजादी के लिए सब लड़े थे

 कैसे होगी विकास हालत है ऐसी।। आजादी के लिए सब लड़े थे मिलजुल कर हिंदू , मुस्लिम, ईसाई ,सिख, जैन और बौद्ध ब्राह्मण, क्षत्रीय ,वैश्य ,शूद्र ,शेख ,सैयद, एवं पठान SC , ST , BC , OC और OBC ।। मगर जब गाद्दी पर बैठने की समय आया एक ही जाति बैठकर वह सिर्फ अपना जाति, राज्य ,प्रांत व परिवार को ही विकास की ओर लेकर गया और कुर्सी को बचाए रखने के लिए  दूसरा जाती परिवार प्रांत को दूर रखकर उनके कमजोरियों एवं मजबूरियों से प्यार कर अपमान का पहाड़ खड़ा किया परिणाम निकला अलग-अलग होना एक दूसरे पर यकीन ना कर पाना  छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा शुरू हो जाना अतएव हालत है ऐसी कैसे होगी विकास ।।

रेल यात्रा

 रेल यात्रा 

14 जुलाई 1911 इटली: बात यह है की जनेट्टी कंपनी ने इटली शहर में अमीरों को खान-पान के साथ मुफ़्त में पहली सफ़र करने का मौका देती है। 


Train Time Travel Stories 


जेनेट्टी से रोम तक प्राकृतिक सौंदर्य का आस्वादन करते हुए, ऊंचे पहाड़ियों, सुरंग, से होते हुए जाने वाली तीन बोगियों की रेल गाड़ी में इटली शहर के 100 अमीर यात्री यात्रा कर रहे थे। यात्रियों के लिए यह एक शानदार सफ़र था। गाड़ी तेज़ रफ्तार से आगे बड़ रही थी । पहाड़ियों के नीचे एक लंबी सुरंग के अंदर जाते ही रेल गाड़ी में सफ़र करने सब के आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है, जिससे गाड़ी चालक को अवरोधों पर  नज़र रखने में मुश्किल हुआ तो गाड़ी सुरंग के बीच धीमी गति से चलती है। धीमी गति से चलने के वजह से रेल गाड़ी का सारा धुआ पीछे वाले डिब्बियों में अंजान डर से बैठे हुए यात्रियों के मुंह से होते हुए उनके शरीर में घुसकर सब को बेहोश करदेता है वहीं अचानक सुरंग में खतरनाक भूकंप आता है और गाड़ी जमीन के अंदर चली जाती है। 


धीरे-धीरे यह गाड़ी समय में पीछे की ओर दस हज़ार किलोमीटर टाइम ट्रैवल करके 15 जुलाई 1840 को मैक्सिको पहुंचती है। गाड़ी में मौजूद एक सौ यात्री मानसिक रूप से बीमार हुए थे। इन सब को इलाज के लिए स्थानीय सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। वातावरण में तापमान गिर रहा था, तीसरे दिन सुबह करीब 6 बजे अस्पताल के आस-पास कोहरा छा जाता है अचानक अस्पताल में भर्ती हुए सभी रोगी गायब हो जाते हैं। डॉ साहब के आखिर तक उन मरीजों को बचाने की कोशिश की फिर भी वह मरीजों की इटालियन भाषा को समझ नहीं पाया। 


करीब एक घंटे के बाद रेल गाड़ी भी गायब होजती है। रेल गाड़ी में निकल गए मरीज फ़िर तेज़ रफ्तार टाइम ट्रैवल करके 16 जुलाई 1955 को इस रेल गाड़ी रूस, जर्मनी आदि देशों में कई लोगों को दिखी है। 


आप को क्या लगता है आखिर यह गाड़ी गायब है ? 

ना थके मेरी सोच आज भी सफ़र जारी है।

मणिकांत,,,, 



Reference: Radhe Shyam Movie

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