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अब तो जीओ आँखे खोल कर -Raavan Paul Khan.MD

कुछ पागल पुलिस कुत्तों के, 

कई हरामी राजनीति हाथियों के,

 कानून के कलंकों के ,

कड़वा कामचोरों के ,

लालची लोमड़ीओं के ,

बातों से बहकाये बंदरों के 

तिनके की सहारा से 

अपने लोगों को उंगली दिखा कर ,

खुद बदनाम होकर ,

अपनों को भी बदनाम करवा कर ,

खेत को  हाथ में लेने को कोशिश कर रहे हो । 

मगर  रे ! मूर्ख  याद रख

बटवारा साम्राज्यवाद वालों का इच्छा होती है 

उनका इच्छा को सफल बनाने हेतु 

हम लोगों के बीच लालच पैदा किए हैं ।

उनके जाल में तुम फस कर 

हमें भी फँसा कर 

परोपकार से, खुशी से, चैन से, 

जीने वाले गाँवों  को 

राजनीति , लालच , ईर्ष्या , द्वेष, बेकाम आदि से 

भरा शहर बना दिया ।

हम दोनों को लड़ाई से मुक्त करने-करवाने हेतु

 हरामी हाथी, पागल कुत्ता, कानून कलंक, 

जैसा मानव रूपी हरामखोर जानवर 

बीच में टांग अड़ा कर 

तुम्हारा मेरा पैसों से महल बनवा कर ,

गाड़ियाँ खरीद कर 

अपने जिंदगी को  जी रहे हैं  आराम से..

मगर हम कर्ज चुकाने में 

परिवार को भूखा रखने में, 

त्योहार , शादी जैसे 

परिवार के उत्सवों से दूर रहने में

शोक मनाते हुए 

मार खाके रोया नहीं जैसा 

हालत बनाने में

व्यस्त जिंदगी गुजर रहे हैं । 

इसलिए चेतावनी दे रहा हूँ कि 

अब तो जीओ आँखें खोल कर 

वरना बुरा काम करने की फैसला लेने की पाश्चात 

अच्छा काम के बारे में सोच नहीं सकता  ।

                    - रावण.MD

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