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बात मान लो पगली !!
प्रेम समझो, भ्रम समझो मेरी चाहत को
पागलपन समझो , दीवानापन समझो मेरी हालत को
मैं तो हो गया हूँ तेरी
तुम होना बाकी है मेरी ।
तुम मेरी प्रेरणा हो ,
ताकत भी बन जाओ शहजादी।
मैं तो हर दिन रात भर यह सोचता हूँ कि
किसी एक जनम में तो
मेरी जिंदगी के भंग में रंग डालने को
बेचैन को चैन देने को
हमसफर बनकर जरूर आओगी।।
इसी उम्मीद में सनम
दिन-रात जिंदगी बिता रहा हूंँ
तेरी यादों से , तेरे संग गुजारने की चाहतों से।।
मैं तो हर पल यह कहना चाहता हूँ कि
अगले जनम की बात छोड़ दो पगली
इसी जनम के बारे में सोच लो।
अब तो बात मान लो पगली
एक हो जाएंगे इसी जनम में
एक हो जाएंगे इसी जनम में।।
- रावण.MD
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