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अपना न होने पराया के लिए

 बेताबी बेचैनी को अपनाना 

भीड़ में अकेला होना 

अकेले में आँसू पीना 

प्यार की गीतों में प्यारी नजर आना 

निरुत्साह निराश में डुबे रहना 

लड़कियों के प्रति नफ़रत होना 

जोश मस्ती में मन नहीं लगना 

आदि सभी लक्षण आ जाते हैं 

अगर मुहब्बत में मन मूर्जाने तो ।।

अतएव कम दिन के 

जिंदगी को और जवानी को 

प्रेम नामक अभिनय के खातिर 

अपना न होने पराया के लिए 

त्याग देना महा पाप है 

इससे अच्छा 

प्रेमनगर के द्वार को बंद करके 

स्वर्गनगर के द्वार को 

खोलना है उचित।।


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