ईदगाह पाठ का सारांश
* पात्र:
कहानी के मुख्य पात्र हामिद , उसकी बूढ़ी दादी अमीना और उसके दोस्त महमूद, मोहसिन, नूरे और शम्मी हैं।
* त्यौहार का माहौल:
कहानी ईद के त्यौहार से शुरू होती है। गाँव में खुशी का माहौल है और सभी लोग ईदगाह जाने की तैयारी कर रहे हैं।
* हामिद की गरीबी:
हामिद के पास सिर्फ तीन पैसे हैं, जबकि उसके दोस्तों के पास ज़्यादा पैसे और खिलौने हैं।
* मेले में हामिद का त्याग:
हामिद के दोस्त झूले झूलते हैं, मिठाइयाँ खाते हैं और खिलौने खरीदते हैं, लेकिन हामिद अपने तीन पैसे बचाकर रखता है। वह सोचता है कि ये पैसे उसकी दादी के काम आ सकते हैं।
* दुकान पर हामिद का फैसला:
मेले में हामिद देखता है कि उसकी दादी के पास खाना बनाने के लिए चिंता (तवा) नहीं है। वह अपने पैसों से अपनी दादी के लिए एक चिमटा खरीदता है।
* दादी की खुशी:
हामिद जब घर लौटता है और चिमटा अपनी दादी को देता है, तो वह बहुत खुश होती है। वह हामिद को गले लगा लेती है और उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं।
* प्रेम और त्याग का संदेश:
यह कहानी हमें बताती है कि सच्चा प्यार और त्याग कितना महत्वपूर्ण है। हामिद ने अपने बचपन की इच्छाओं को त्यागकर अपनी दादी के लिए एक चिमटा खरीदा।
* निष्कर्ष:
यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं से बढ़कर, रिश्तों और भावनाओं का महत्व
होता है।
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