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सच है सनम

 सच है सनम सदा रही मन, तेरी सपनों में वैसे भी संपूर्ण नींद सोकर भी हुए बहुत साल  हर दिन सोना पडरहा है जबरदस्ती से  न जाने कितने सोचुं पर आशिक़ी सुनने तो देखने तो बोलने तो पढ़ने तो लिखने तो सनम तेरी कसम सिर्फ तुम ही याद आती हो न मिलोगी माने जानने के बावजूद तेरे फोटो देख कर मन को शांत कर देता हूँ ।।

उपसर्ग Prefix

 प्रश्न 

 प्रेमचंद बेजोड लेखक थे ।

 रेखांकित शब्द का उपसर्ग क्या है ? 

                ब           बे       बेज 



उपसर्ग (Prefix) दो शब्दों से मिलकर बना है- 

उप (समीप) + सर्ग (सृष्टि करना),  

जैसे-

प्र+हार = प्रहार

उपसर्ग + मूल शब्द/धातु= यौगिक शब्द

 जिस शब्दांश जो शब्दों के शुरुआत(आगे =Front) में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं, उन शब्दों को उपसर्ग कहते हैं।


Ex: 


सत्

सद्भावना


नि

निबंध, निदर्शन, निडर


अचेत, असत्य, अहिंसा


परा

पराजय, पराक्रम, पराभव


बद

बदनाम, बदकिस्मत


ला

लाजवाब, लावारिस, लापरवाह


सकुशल, सप्रेम, सतर्क


दुर

दुर्गुण, दुराचार, दुर्लभ, दुर्जन


कु

कुसंग कुमंत्रणा, कुप्रसिद्ध


अभि

अभिमान, अभिलाषा, अभिप्राय


प्रति

प्रत्यक्ष प्रत्येक, प्रतिक्रिया, प्रत्याशा


उप

उपवन, उपदेश, उपनाम, उपकार


पर

परतंत्र, परदादा, परपोता


सम्

संतोष, संकल्प, संरक्षण


अधि

अधिकार, अधिपति, अधिनियम


परि

परिणाम, परिजन, परिक्रमा


उपसर्ग शब्द  examples: 

असफल- अ

अज्ञात- अ

निराशा- निर्

स्वाधीन -स्व

दुरुपयोग- दुर्

बेतहास - बे

निस्संदेह -निस्

बेराह -बे

संयोग - सम्

बेसमझ- बे

पुनरावृत्ति - पुनर्

अजनबी - अज

सम्मोहित - सम्

बेचैन -बे

असहनीय- अ

अनायास - अन

अचेत -अ

बेहोश - बे

बेचैन -बे

दुर्घटना-  दुर

सुमृत्यु - सु

सजीव- रा

अधीर -अ

अनर्थ -अन्

अभीष्ट -अभि

निर्झर -निर्

वेसमझ -बे

दुर्भाग्य -दुर्

सआदत -स

विलक्षण- वि

अनुचित -अन्

विकल - वि

निश्चल -निस्

अचेत -अ

विवश - वि

प्रभाव -प्र

बेरूखी- बे

सम्मोहित -सम्

असंगत -अ

लोककथा- लोक

विद्वेष -वि

प्रतिवर्ष- प्रति

प्रतिदिन -प्रति

स्वाध्यायाय- स्व

कुकर्म -कु

बदहवास -बद

बेहाल - बे

अधिकार - अधि

अकर्म- अ

निपुण- नि

प्रताडना -प्र

संकलित -सम्

सद्भाव- सत्

दुर्बल -दुर्

स्वराज्य- स्व

अभाग्य -अ

अनुचित - अन्

निराशा - निर्

प्राध्यापक- प्र

अत्यधिक- अति

अनुशासन- अनु

निर्दोष -निर

अनुलिपि -अनु

स्वागत -स्व

पराधीन- पर

संकल्प -सम्

लोकगीत -लोक

अनगिनत- अन




उपसर्ग शब्द


अति

अत्याचार. अतिरिक्त, अतिशय


ना

नादान, 'नाराज, नालायक


अन

अनमोल, अनगिनत


गैर

गैरहाजिर, गैरसरकारी


अप

अपमान, अपहरण, अपकीर्ति


वि

विज्ञान, विदेश, विद्रोह


बे

बेमतलब, बे परवाह, बेईमान, बेरहम, बेइज्जत 


सु

सुपुत्र सुगंध, सुजल




 परस्परावलंब= परस्पर+ अवलंब

हिताहित= हित+अहित

फलानुसार - फल + अनुसार

फलानुसार = फल + अनु सार

पर्यावरण= परि+आवरण

अंतरैक्य= अंतः + ऐक्य

मदांध = मद + अंध

परार्थ = पर + अर्थ

अंतर्राष्ट्रीय=  अंतः + राष्ट्रीय

पुस्तकालय = पुस्तक + आलय

अलौकिक = अलोक+ इक

उज्ज्वल= उत् + ज्वल

भ्रष्टाचार= भ्रष्ट + आचार

चिदंबरा = चित् + अंबरा

रूपांतरण = रूप + अंतरण

युवावस्था= युव + अवस्था

स्वागत= सु + आगत

महर्षि = महा + ऋषि

स्वाध्याय = स्व + अध्याय

रवींद्र = रवि + इंद्र

गीतांजली=  गीत + अंजली

सदैव = सदा + एव

क्षुधार्त = क्षुधा + आर्त

पुनरावृत्ति = पुनः+ आवृत्ति




इतिहास

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द तीन प्रकार के होते हैं- रूढ़, यौगिक, योगरूढ़। इनमें से यौगिक शब्दों का निर्माण तीन तरह से होता है- उपसर्ग, प्रत्यय और समास । अतः यहाँ पर हम उपसर्ग से यौगिक शब्दों का निर्माण करना सीखेंगे।

उपसर्ग शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- उप (समीप) सर्ग (सृष्टि करना), अतः उपसर्ग का शाब्दिक अर्थ है-किसी शब्द के समीप आ कर नया शब्द बनाना। 

जैसे- प्र+हार = प्रहार

उपसर्ग + मूल शब्द/धातु= यौगिक शब्द








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