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सच है सनम

 सच है सनम सदा रही मन, तेरी सपनों में वैसे भी संपूर्ण नींद सोकर भी हुए बहुत साल  हर दिन सोना पडरहा है जबरदस्ती से  न जाने कितने सोचुं पर आशिक़ी सुनने तो देखने तो बोलने तो पढ़ने तो लिखने तो सनम तेरी कसम सिर्फ तुम ही याद आती हो न मिलोगी माने जानने के बावजूद तेरे फोटो देख कर मन को शांत कर देता हूँ ।।

समुच्चयबोधक (Conjunctions)

 समुच्चयबोधक (Conjunctions) 

         दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को आपस में जोड़ने वाले योजक या संयोजक को  समुच्चयबोधक (Conjunctions) कहते हैं। 

उदाहरण: 

समुच्चयबोधक के प्रकार

मुख्यतः समुच्चयबोधक के दो प्रमुख भेद होते हैं:

1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक (Coordinating Conjunctions)

ये वे समुच्चयबोधक शब्द होते हैं जो दो समान स्थिति वाले शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को आपस में जोड़ते हैं। इनमें जोड़े जाने वाले दोनों हिस्सों का महत्व समान होता है।

उदाहरण:

 * राम और श्याम स्कूल जा रहे हैं।

 * मैं केला, संतरा और आम खाता हूँ।

 * नानाजी या मामाजी बाजार जाएँगे।

 * रिया ने मेहनत की परंतु सब बेकार गई।

समानाधिकरण समुच्चयबोधक के भी कई उपभेद होते हैं:

 * संयोजक: जो दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ते हैं।

   * उदाहरण: और, एवं, तथा, व, भी

 * विभाजक: जो विकल्प या अलगाव का बोध कराते हैं।

   * उदाहरण: या, अथवा, चाहे, न-न, नहीं तो

 * विरोध दर्शक: जो विरोध या भिन्नता का बोध कराते हैं।

   * उदाहरण: परंतु, लेकिन, मगर, किंतु, बल्कि

 * परिणाम दर्शक: जो परिणाम या निष्कर्ष का बोध कराते हैं।

   * उदाहरण: इसलिए, अतएव, फलतः

2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक (Subordinating Conjunctions)

ये वे समुच्चयबोधक शब्द होते हैं जो एक मुख्य वाक्य के प्रधान उपवाक्य और आश्रित उपवाक्य को आपस में जोड़ते हैं। इसमें एक वाक्य दूसरे पर निर्भर करता है।

उदाहरण:

 * सीमा इतनी कमजोर है कि चल नहीं सकती। (यहाँ 'चल नहीं सकती' आश्रित उपवाक्य है और 'सीमा इतनी कमजोर है' प्रधान उपवाक्य है।)

 * हमें कुछ करते रहना चाहिए ताकि समाज आगे बढ़े।

 * यदि तुम मेहनत करोगे तो पास हो जाओगे।

व्यधिकरण समुच्चयबोधक के भी कई उपभेद होते हैं:

 * कारणवाचक: जो कारण का बोध कराते हैं।

   * उदाहरण: क्योंकि, चूंकि, इसलिए कि

 * उद्देश्यवाचक: जो उद्देश्य का बोध कराते हैं।

   * उदाहरण: ताकि, इसलिए कि

 * संकेतवाचक: जो शर्त या संकेत का बोध कराते हैं।

   * उदाहरण: यदि...तो, यद्यपि...तथापि, जैसा...वैसा

 * स्वरूपवाचक: जो प्रधान वाक्य के अर्थ को स्पष्ट करते हैं।

   * उदाहरण: कि

 * समयवाचक: जो समय का बोध कराते हैं।

   * उदाहरण: जब, तब, जैसे ही




समुच्चयबोधक (Conjunction) की परिभाषा:

समुच्चयबोधक वे शब्द होते हैं जो दो या दो से अधिक शब्दों, वाक्यांशों (phrases) या वाक्यों (clauses/sentences) को आपस में जोड़ने का काम करते हैं। ये शब्द वाक्यों के बीच संबंध स्थापित करते हैं और उन्हें सुगठित व स्पष्ट बनाने में मदद करते हैं। इन्हें 'योजक' या 'संयोजक' अव्यय भी कहा जाता है, क्योंकि ये अविकारी शब्द होते हैं, जिन पर लिंग, वचन, कारक आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

सरल शब्दों में:

जो शब्द जोड़ने का काम करें, वे समुच्चयबोधक कहलाते हैं।

उदाहरण:

 * राम और श्याम पढ़ रहे हैं। (दो शब्दों को जोड़ना)

 * वह बहुत बुद्धिमान है लेकिन आलसी है। (दो वाक्यों को जोड़ना)

 * तुम चाय पियोगे या कॉफी? (दो विकल्पों को 

जोड़ना)

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