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सच है सनम

 सच है सनम सदा रही मन, तेरी सपनों में वैसे भी संपूर्ण नींद सोकर भी हुए बहुत साल  हर दिन सोना पडरहा है जबरदस्ती से  न जाने कितने सोचुं पर आशिक़ी सुनने तो देखने तो बोलने तो पढ़ने तो लिखने तो सनम तेरी कसम सिर्फ तुम ही याद आती हो न मिलोगी माने जानने के बावजूद तेरे फोटो देख कर मन को शांत कर देता हूँ ।।

छंद (for slow learners)

 छंद (यमाताराजभानस लग)

कविता में प्रयुक्त होने वाले वर्ण, मात्रा, यति आदि के संगठन को छंद कहते हैं।


चौपाई छंद यह एक सम मात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में सोलह मात्राएँ होती हैं।

उदाहरण :

प्रभुजी, तुम चंदन हम पानी।

 जाकी अँग-अँग बा बास समानी।।

प्रभुजी, तुम घन-बन हम मोरा।

जैसे चितवहि चंद्र चकोरा ।।


दोहा छंद

दोहा मात्रिक छंद है। इसके पहले चरण में तेरह मात्राएँ, दूसरे चरण में ग्यारह मात्राएँ (13-11) होती हैं। तीसरे चरण में तेरह मात्राएँ और चौथे चरण में ग्यारह मात्राएँ होती हैं।

उदाहरण:

।।।। SS SIS II SS II SI

रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।

पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून ।।


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