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सच है सनम

 सच है सनम सदा रही मन, तेरी सपनों में वैसे भी संपूर्ण नींद सोकर भी हुए बहुत साल  हर दिन सोना पडरहा है जबरदस्ती से  न जाने कितने सोचुं पर आशिक़ी सुनने तो देखने तो बोलने तो पढ़ने तो लिखने तो सनम तेरी कसम सिर्फ तुम ही याद आती हो न मिलोगी माने जानने के बावजूद तेरे फोटो देख कर मन को शांत कर देता हूँ ।।

Qno 9 प्रत्यय suffix

 प्रश्न:     लडाई का मोरचा बदल गया।

 रेखांकित शब्द का प्रत्यय विकल्पों में से पहचानकर लिखिए ।

           ई       आई        लड


प्रत्यय

 शब्द के अंत(Last) में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन करने वाले शब्द को प्रत्यय कहते हैं।

उदाहरण :-

समाज + इक = सामाजिक

सुगंध + इत = सुगंधित

मीठा + आस = मिठास

लोहा + आर = लुहार

नाटक + कार = नाटककार 

बड़ा + आई = बडाई

होन + हार = होनहार


Examples: 

 शब्द - प्रत्यय


चर्चित - इत

साहसिक   इक

छटापटाहट   आहट

शब्दहीन   हीन

सम्मोहित - इत

सफलता   ता

सम्मानित - इत

प्रकाशित - इत

हिंदुस्तानी - ई

याराना -  आना

मस्ती    ई

सूक्ष्मता - ता

गद्यकार कार

बचपन पन

गरीबी - ई

वैज्ञानिक   - इक

सिखाई     -आई

पढाई       - आई

दूकानदार    -दार

प्रतिभावान -    वान

भाषी -   ई

प्रकाशित- इत

दर्शनीय- ईय

आत्मज- ज

व्यावहारिकता- ता

साहसी- ई

गुजराती- ई

नेपाली - ई

राष्ट्रीय -ईय

दयालू - आलू

एकत्रित - इत  

पूर्वी   - ई

अपमानित- इत

हिंदुस्तानी - ई 

वार्षिक - इक

निगरानी -आनी 

 वर्णित - इत

निर्मित - इत

उपयोगी - ई

पंजाबी - ई

मनुष्यता - ता 

संबोधित - इत

बढाना- आना

जीविका - इका

छायावाद -वाद 

सार्थकता - ता

रोमांचित - इत

शैक्षिक - इक

गर्मी -ई

समग्रता- ता

मानवता - ता

पर्वतीय- ईय

स्कूली - ई

सामासिक- इक

सच्चाई- आई

संबंधी - ई

भारतीय - ईय

मुखरित - इत

पतंगबाजी-  बाजी

दैनिक - इक

वैचारिक - इक

प्रभावित- इत

शिष्या -आ

क्षितीश -ईश

पहलवान -वान

यादगार -गार

शालीनता - ता

स्वच्छंदता- ता

ज्ञानी- ई

व्यक्तित्व - त्व

दयालू, कृपालू - आलू




वर्ती

चक्रवर्ती, परवर्ती


प्रिया, छात्रा, भवदीया


वान

गुणवान, बलवान.


इक

नैतिक, धार्मिक, सामाजिक


बाला

दूधवाला, गाडीवाला


त्व

महत्व, अमरत्व, गुरुत्व


वट

लिखावट, बनावट,


भाषी. अधिकारी


हट

मुस्कुराहट, घबराहट, चिकनाहट


ईय

भारतीय,


अक्कड

घुमक्कड, पियक्कड


आव

चढाव


ईला

चमकीला, भडकीला. जोशीला


ता

कविता. मानवता, समता, नवीनता


पन

बचपन, बडप्पन


दा

एकदा, सर्वदा


मति

चंद्रमति, बुद्धिमति

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