सच है सनम सदा रही मन, तेरी सपनों में वैसे भी संपूर्ण नींद सोकर भी हुए बहुत साल हर दिन सोना पडरहा है जबरदस्ती से न जाने कितने सोचुं पर आशिक़ी सुनने तो देखने तो बोलने तो पढ़ने तो लिखने तो सनम तेरी कसम सिर्फ तुम ही याद आती हो न मिलोगी माने जानने के बावजूद तेरे फोटो देख कर मन को शांत कर देता हूँ ।।
रेल यात्रा
प्रस्तुतकर्ता
www
को
लिंक पाएं
Facebook
X
Pinterest
ईमेल
दूसरे ऐप
रेल यात्रा
14 जुलाई 1911 इटली: बात यह है की जनेट्टी कंपनी ने इटली शहर में अमीरों को खान-पान के साथ मुफ़्त में पहली सफ़र करने का मौका देती है।
जेनेट्टी से रोम तक प्राकृतिक सौंदर्य का आस्वादन करते हुए, ऊंचे पहाड़ियों, सुरंग, से होते हुए जाने वाली तीन बोगियों की रेल गाड़ी में इटली शहर के 100 अमीर यात्री यात्रा कर रहे थे। यात्रियों के लिए यह एक शानदार सफ़र था। गाड़ी तेज़ रफ्तार से आगे बड़ रही थी । पहाड़ियों के नीचे एक लंबी सुरंग के अंदर जाते ही रेल गाड़ी में सफ़र करने सब के आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है, जिससे गाड़ी चालक को अवरोधों पर नज़र रखने में मुश्किल हुआ तो गाड़ी सुरंग के बीच धीमी गति से चलती है। धीमी गति से चलने के वजह से रेल गाड़ी का सारा धुआ पीछे वाले डिब्बियों में अंजान डर से बैठे हुए यात्रियों के मुंह से होते हुए उनके शरीर में घुसकर सब को बेहोश करदेता है वहीं अचानक सुरंग में खतरनाक भूकंप आता है और गाड़ी जमीन के अंदर चली जाती है।
धीरे-धीरे यह गाड़ी समय में पीछे की ओर दस हज़ार किलोमीटर टाइम ट्रैवल करके 15 जुलाई 1840 को मैक्सिको पहुंचती है। गाड़ी में मौजूद एक सौ यात्री मानसिक रूप से बीमार हुए थे। इन सब को इलाज के लिए स्थानीय सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। वातावरण में तापमान गिर रहा था, तीसरे दिन सुबह करीब 6 बजे अस्पताल के आस-पास कोहरा छा जाता है अचानक अस्पताल में भर्ती हुए सभी रोगी गायब हो जाते हैं। डॉ साहब के आखिर तक उन मरीजों को बचाने की कोशिश की फिर भी वह मरीजों की इटालियन भाषा को समझ नहीं पाया।
करीब एक घंटे के बाद रेल गाड़ी भी गायब होजती है। रेल गाड़ी में निकल गए मरीज फ़िर तेज़ रफ्तार टाइम ट्रैवल करके 16 जुलाई 1955 को इस रेल गाड़ी रूस, जर्मनी आदि देशों में कई लोगों को दिखी है।
टिप्पणियाँ